रजनीगंधा की खेती (Tuberose Farming in Hindi)
रजनीगंधा की खेती खुशबूदार और आकर्षक फूलो को प्राप्त करने के लिए की जाती है| इसके फूल सफ़ेद रंग के होते है, जो अधिक समय तक ताजे बने रहते है| इसी के फूलो से गजरा बनाते है, जिसे महिलाओ द्वारा श्रृंगार के रूप में इस्तेमाल में लाया जाता है|
इसके अलावा फूलो का उपयोग आयुर्वेदिक दवाइयों को बनाने के लिए भी किया जाता है| रजनीगंधा के फूलो से खुशबूदार तेल भी निकालते है, जिस वजह से बाज़ारो में रजनीगंधा फूल की मांग सबसे अधिक रहती है| इसके तेल को इत्र और परफ्यूम बनाने के लिए इस्तेमाल में लाते है|
Contents
- 1 रजनीगंधा की खेती (Tuberose Farming in Hindi)
- 1.1 रजनीगंधा की खेती में सहायक मिट्टी (Tuberose Cultivation Helpful Soil)
- 1.2 रजनीगंधा फसल के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान (Tuberose Crop Suitable Climate and Temperature)
- 1.3 रजनीगंधा की उन्नत किस्में (Tuberose Improved Varieties)
- 1.4 रजनीगंधा के खेत की तैयारी (Tuberose Field Preparation)
- 1.5 रजनीगंधा के बीज की रोपाई का तरीका और समय (Tuberose Seeds Sowing Method and Time)
- 1.6 रजनीगंधा के खेत में उवर्रक (Tuberose Field Fertilizer)
- 1.7 रजनीगंधा के पौधे की सिंचाई (Tuberose Plant Irrigation)
- 1.8 रजनीगंधा के पौधों पर खतपतवार नियंत्रण (Tuberose Plants Weed Control)
- 1.9 रजनीगंधा के पौध रोग व उपचार (Tuberculosis Plant Diseases and Treatment)
- 1.10 रजनीगंधा के फूलों की तुड़ाई (Tuberose Flowers Plucking)
- 1.11 रजनीगंधा के फूलो कीमत, उत्पादन और लाभ (Tuberose Flowers Price Production and Benefits)
रजनीगंधा के तेल से बनाये गए इत्र और परफ्यूम की कीमत बाज़ारो में काफी अधिक रहती है| भारत में रजनीगंधा की खेती तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में विशेष रूप से की जाती है| किसान भाई रजनीगंधा की खेती से अधिक मुनाफा भी कमाते है| यदि आप भी रजनीगंधा की खेती करना चाहते है, तो इस लेख में आपको रजनीगंधा की खेती कैसे करे के बारे में जानकारी दी जा रही है|
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रजनीगंधा की खेती में सहायक मिट्टी (Tuberose Cultivation Helpful Soil)
रजनीगंधा की खेती में किसी खास तरह की भूमि की जरूरत नहीं होती है| बलुई दोमट और उचित जल निकासी वाली भूमि में इसकी खेती आसानी से कर सकते है| अच्छी उपजाऊ भूमि में अधिक मात्रा में फूल प्राप्त होते है| हल्की अम्लीय और क्षारीय भूमि में भी इसकी खेती कर सकते है| इसकी खेत में भूमि का P.H. मान 6.5 से 7.5 तक हो|
रजनीगंधा फसल के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान (Tuberose Crop Suitable Climate and Temperature)
समशीतोष्ण जलवायु में रजनीगंधा का उत्पादन अधिक मात्रा में किया जाता है| इसके पौधे गर्म और आद्र जलवायु में ज्यादा और ठीक तरह से खिलते है| जिससे पैदावार भी अच्छी प्राप्त होती है| इसके फूलो को ठीक तरह से खिलने के लिए सूर्य की धूप की जरूरत होती है, इसलिए छायादार जगह पर इसकी खेती बिल्कुल न करे|
रजनीगंधा के पौधे सामान्य तापमान पर अच्छी पैदावार देते है| इसके पौधों के लिए अधिकतम 35 और न्यूनतम 15 डिग्री पर्याप्त होता है|
रजनीगंधा की उन्नत किस्में (Tuberose Improved Varieties)
आज के समय में रजनीगंधा की कई किस्में बाज़ारो में देखने को मिल जाती है| कई किस्में ऐसी भी होती है, जिन्हे संकरण के माध्यम से तैयार किया जाता है| इन सभी क़िस्मों को एकहरी और दोहरी श्रेणी में बांटा गया है, जो इस प्रकार है:-
एकहरी श्रेणी की उन्नत क़िस्म (Single Grade Advanced Variety)
- रजत रेखा :- इस एकहरी श्रेणी वाली क़िस्म को एन बी आर आई और एन बी आर के माध्यम से तैयार किया गया है| इसके पौधों पर निकलने वाले फूलो में सिल्वर और सफ़ेद रंग की धारियां और पत्तियां सुरमई रंग की पाई जाती है|
- शृंगार :- रजनीगंधा की यह एक संकर एकहरी क़िस्म है, जिसे NBRI बैंगलोर द्वारा मैक्सिकन सिंगल और डबल का संकरण कर बनाया गया है| इसमें निकलने वाले फूलो का आकार बड़ा होता है, तथा कली हल्का गुलाबी रंग लिए हुए होती है| यह क़िस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 20 क्विंटल का उत्पादन दे देती है|
- प्रज्जवल :- रजनीगंधा की इस क़िस्म को बैंगलोर के एन बी आर आई द्वारा मैक्सिकन सिंगल का संकरण कर तैयार किया गया है| इस क़िस्म के फूलो का वज़न सामान्य से थोड़ा अधिक होता है| यह क़िस्म अधिक पैदावार देने के लिए जानी जाती है|
रजनीगंधा की दोहरी श्रेणी वाली किस्में (Tuberose Double Tiered Varieties)
- स्वर्ण रेखा :- यह एक दोहरी श्रेणी वाली क़िस्म है, जिसे सजावट के लिए अधिक उपयोग में लाया जाता है| इस क़िस्म को लखनऊ के एन बी आर आई की गामा किरणों के द्वारा तैयार किया गया है| इसमें निकलने वाली पत्तियों के किनारे पर पीली रेखाएं होती है|
- सुवासिनी :- रजनीगंधा की यह क़िस्म अन्य दोहरी श्रेणी वाली क़िस्मों की तुलना में अधिक उत्पादन देने के लिए जानी जाती है| इसे बंगलूर में एन बी आर आई द्वारा मैक्सिकन सिंगल और डबल का संकरण कर तैयार किया गया है|
- वैभव :- इस क़िस्म की पैदावार सुवासिनी क़िस्म से अधिक पाई जाती है| इसके पौधों में निकलने वाले फूल सफ़ेद रंग के होते है, जिस पर हरे रंग की कली निकलती है| इस तरह के फूलो को विशेष रूप से कट फ्लावर के लिए इस्तेमाल किया जाता है|
रजनीगंधा के खेत की तैयारी (Tuberose Field Preparation)
रजनीगंधा के खेत को तैयार करने के लिए आरम्भ में खेत की गहरी जुताई कर दी जाती है| इसके बाद नष्ट हुई फसल के अवशेषों को खेत से निकाल कर खेत की सफाई कर दी जाती है| जुताई के पश्चात् ही खेत में गोबर की खाद डालकर मिट्टी में अच्छे से मिला दिया जाता है| इसके लिए खेत में कल्टीवेटर लगाकर खेत की जुताई की जाती है| गोबर मिली मिट्टी में पानी लगा दिया है| पानी लगाने के कुछ दिन बाद एक बार फिर से जुताई कर खेत की मिट्टी को भुरभुरा कर दिया जाता है| इस भुरभुरी मिट्टी में पाटा लगाकर खेत को समतल कर देते है|
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रजनीगंधा के बीज की रोपाई का तरीका और समय (Tuberose Seeds Sowing Method and Time)
चूंकि रजनीगंधा की फसल बुवाई बीज के रूप में की जाती है| इसके बीजो की रोपाई पैदावार प्राप्त करने के तरीके पर की जाती है| यदि आप पौधों से तेल प्राप्त करने के लिए पैदावार चाहते है, तो खेत में 20 CM की दूरी पर कतारों को तैयार कर ले| इन कतारों में पौध रोपाई 15 CM की दूरी पर करे| इसके आलावा फूल के रूप में पैदावार प्राप्त करने के लिए उन्ही कतारों में पौधों को 20 CM की दूरी पर लगाए| एक एकड़ के खेत में तक़रीबन एक लाख पौधों को लगाया जा सकता है|
रजनीगंधा के पौधों की रोपाई मैदानी भागो में फ़रवरी से मार्च माह के मध्य तक की जानी चाहिए| इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्रों में पौधों की रोपाई मई से जून महीने के मध्य की जाती है| इस दौरान पौधों को पर्याप्त मात्रा में धूप है, जिससे पौधों पर फूल भी अधिक मात्रा में खिलते है|
रजनीगंधा के खेत में उवर्रक (Tuberose Field Fertilizer)
रजनीगंधा की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए खेत की मिट्टी में उचित मात्रा में उवर्रक जरूर दे| इसके लिए जब खेत की पहली जुताई की जाती है, तब उसमे 10 से 15 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद के साथ कम्पोस्ट खाद भी डाली जाती है| इसके अतिरिक्त एन.पी.के 1:2:1 की मात्रा का छिड़काव प्रति हेक्टेयर के खेत में आखरी जुताई के समय करे|
जब खेत में लगा बीज पूरी तरह से अंकुरित हो चुका हो, तब प्रति हेक्टेयर के खेत में 50 KG यूरिया का छिड़काव करे, तथा पौधों पर फूल खिलने के दौरान पोटेशियम साइट्रेट, ऑर्थोफॉस्फोरिक अम्ल और यूरिया को मिलाकर उसके मिश्रण का छिड़काव पौधों पर करे| इससे पौधों पर फूल अधिक मात्रा में आते है|
रजनीगंधा के पौधे की सिंचाई (Tuberose Plant Irrigation)
रजनीगंधा के पौधों को पर्याप्त मात्रा में पानी जरूर दे| इसलिए इसकी पहली सिंचाई बीज रोपाई के तुरंत बाद की जाती है, तथा बीज अंकुरण तक खेत में नमी बनाये रखे| खेत में नमी बनाये रखने के लिए हल्की- हल्की सिंचाई करते रहना होता है| जब पौधे अंकुरित हो चुके होते है, तो अधिक पानी नहीं देना होता है| इसके पौधों पर फूल तैयार होने तक 7 से 10 सिंचाई करनी होती है| बारिश के मौसम में जरूरत पड़ने पर ही पौधों को पानी दे|
रजनीगंधा के पौधों पर खतपतवार नियंत्रण (Tuberose Plants Weed Control)
रजनीगंधा की फसल में खरपतवार नियंत्रण पर विशेष ध्यान दे| क्योकि खर पौधों को अधिक नुकसान पहुँचाती है| इसके लिए नीलाई-गुड़ाई कर खेत से खरपतवार को निकाल दे| जब भी खरपतवार नियंत्रण के लिए गुड़ाई करे उसके बाद पौधों पर मिट्टी अवश्य चढ़ा दे| रजनीगंधा की फसल को केवल दो 2 से 3 गुड़ाई की आवश्यकता होती है| इसकी पहली गुड़ाई बीज रोपाई के एक माह बाद की जाती है, तथा बाद की गुड़ाइयो को 15 दिन के अंतराल में करना होता है| रासायनिक विधि से खरपतवार को रोकने के लिए एट्राजीन या डायुरान की उचित मात्रा का छिड़काव खेत में पौध रोपाई से पूर्व करे|
रजनीगंधा के पौध रोग व उपचार (Tuberculosis Plant Diseases and Treatment)
रोग | रोग का प्रकार | रोग की रोकथाम |
तना सड़न | सक्लेरोशिअम रोल फसाई फफूंदी रोग | पोधों की जड़ो पर मैलाथियान या रोगर का छिड़काव करे| |
ग्रास हॉपर | कीट रोग | मैलाथियान की उचित मात्रा का छिड़काव पौधों पर करे| |
माहू और थ्रिप्स | कीट रोग | मोनोक्रोटोफॉस का छिड़काव पौधों पर करे| |
कली सड़न | इरबीनी स्पेसिडा फफूंद रोग | पौधों पर स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 500 पी.पी.एम की उचित मात्रा का छिड़काव करे| |
निमेटोड | कीट रोग | पौधों की जड़ो पर कार्बोफ्यूरान या थाइमेट का छिड़काव करे| |
तंबाकू मोज़ेक वायरस | वायरस जनित रोग | पौधों पर फिप्रोनिल का छिड़काव करे| |
रजनीगंधा के फूलों की तुड़ाई (Tuberose Flowers Plucking)
रजनीगंधा के पौधों पर बीज रोपाई के 4 माह पश्चात् फूल आना शुरू कर देते है| इसके बाद जब फूल पूरी तरह से खिल चुका हो, तब उसकी तुड़ाई कर ले| यदि फूलो को कट फ्लॉवर के लिए तोड़ना चाहते है, तो एक डंठल पर दो से तीन फूल आ जाने पर उसे डंठल सहित तोड़ ले| फूलो की तुड़ाई के बाद उन्हें सूती कपड़े से बांधकर छायादार जगह पर रख दे|
इसके फूलो की तुड़ाई 5 CM की दूरी लेते हुए डंडी के साथ करे| इससे पौधे का बल्व सुरक्षित रहता है, जिससे उन्हें उखाड़कर दोबारा लगा सकते है| इन बल्वों को कार्बेन्डाजिम का पानी के साथ मिश्रण बनाकर उसमे आधे घंटे तक डूबा कर रख दे, इससे बल्व संरक्षित रहता है| इन फूलो को 17 दिन के लम्बे समय तक संरक्षित कर सकते है, जिससे इन फूलो को लम्बी दूरी पर भी सरलता से भेजा जा सकता है|
रजनीगंधा के फूलो कीमत, उत्पादन और लाभ (Tuberose Flowers Price Production and Benefits)
एक हेक्टेयर के खेत से तक़रीबन 80 क्विंटल रजनीगंधा के फूलो का उत्पादन प्राप्त हो जाता है| रजनीगंधा के फूलो का बाज़ारी भाव 20 रूपए प्रति किलो होता है| किसान भाई इसकी एक बार की फसल से डेढ़ से दो लाख तक कमा सकते है| इसके अलावा कम खर्च में बल्व तीन बार तक फिर से उगा सकते है, इससे आप दूसरे वर्ष भी लगभग उतनी ही कमाई कर सकते है|
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