ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Farming) से सम्बंधित जानकारी
ड्रैगन फ्रूट की खेती फल के रूप में की जाती है | यह अमेरिकी मूल का फल है, जिसे इज़राइल, श्रीलंका, थाईलैंड, वियतनाम में अधिक मात्रा में उगाया जाता है | भारत में इसे पिताया नाम से भी जानते है | ड्रैगन फ्रूट का इस्तेमाल काट कर खाने के लिए किया जाता है, और फलो के अंदर कीवी की तरह ही बीज पाए जाते है | इसके फल का इस्तेमाल खाद्य पदार्थो को बनाने के लिए भी किया जाता है | जिसमे इसके फल से जैम, जेली, आइसक्रीम, जूस और वाइन को तैयार किया जाता है, तथा पौधों को सजावट के लिए इस्तेमाल में लाते है |
ड्रैगन फ्रूट का सेवन कर मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर सकते है | यह बहुत ही लाभकारी फल है, जिसकी मांग अब भारत में अधिक मात्रा में होने लगी है | यदि आप भी ड्रैगन फ्रूट की खेती करना चाहते है, तो इस लेख में आपको ड्रैगन फ्रूट की खेती कैसे होती है (Dragon Fruit Farming in Hindi) तथा ड्रैगन फ्रूट की कीमत की जानकारी दी जा रही है |
Contents
- 1 ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Farming) से सम्बंधित जानकारी
- 2 ड्रैगन की उन्नत किस्में (Dragon Improved Varieties)
- 2.1 सफ़ेद ड्रैगन फ्रूट
- 2.2 लाल गुलाबी
- 2.3 पीला
- 2.4 ड्रैगन फ्रूट के खेत की तैयारी, उवर्रक (Dragon Fruit Farm Preparation)
- 2.5 ड्रैगन फ्रूट की खेती में सपोर्टिंग सिस्टम तैयार करने का तरीका (Dragon Fruit Cultivation Create a Supporting System)
- 2.6 ड्रैगन फ्रूट के पौध की रोपाई का तरीका और समय (Dragon Fruit Seedlings Method and Transplanting)
- 2.7 ड्रैगन फ्रूट के पौधों की सिंचाई (Dragon Fruit Plants Irrigation)
- 2.8 ड्रैगन फ्रूट के पौधों पर खरपतवार नियंत्रण (Dragon Fruit Plants Weed Control)
- 2.9 ड्रैगन फ्रूट फसल रोग (Dragon Fruit Crop Disease)
- 2.10 ड्रैगन फ्रूट के फलो की तुड़ाई (Dragon Fruit Plucking)
- 2.11 ड्रैगन फ्रूट की कीमत, पैदावार और लाभ (Dragon Fruit Price, Yield and Benefits)
ड्रैगन फ्रूट की खेती कैसे होती है (Dragon Fruit Farming in Hindi)
ड्रैगन फ्रूट की खेती किसी भी उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है | इसकी खेती में भूमि उचित जल निकासी वाली होनी चाहिए, क्योकि जल भराव में पौधों को कई तरह के रोग लग जाते है | इसकी खेती में भूमि का P.H. मान 6 से 7 के मध्य होना चाहिए | भारत में ड्रैगन फ्रूट को गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों में उगाया जाता है | इसके पौधों को उष्णकटिबंधीय जलवायु की जरूरत होती है |
जिस वजह से इसे गर्म मौसम की जरूरत होती है, तथा सामान्य बारिश भी उपयुक्त होती है | किन्तु सर्दियों में गिरने वाला पाला पौधों को हानि पहुंचाता है | ड्रैगन फ्रूट के पौधों को आरम्भ में 25 डिग्री तापमान तथा पौधों पर फल बनने के दौरान 30 से 35 डिग्री तापमान चाहिए होता है | इसके पौधे न्यूनतम 7 डिग्री तथा अधिकतम 40 डिग्री तापमान पर ही ठीक से विकास कर सकते है |
ड्रैगन फ्रूट उपयोग के लाभ (Dragon Fruit Uses)
ड्रैगन फ्रूट में कई तरह से पोषक तत्व पाए जाते है, जिस वजह से यह फल अधिक लाभदायक होता है | यह बीमारियों को ख़त्म तो नहीं करता है, किन्तु बीमारी के लक्षणो को बढ़ने से रोकता है, और शरीर को आंतरिक विकारो से लड़ने में सहायता प्रदान करता है |
- डायबिटीज में लाभकारी:- इस रोग को सबसे खतरनाक रोगो में गिना जाता है | ड्रैगन फ्रूट के फल में नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट के अलावा फेनोलिक एसिड, फाइबर, फ्लेवोनोइड और एस्कॉर्बिक एसिड की पर्याप्त मात्रा पायी जाती है | जो शरीर में ब्लड शुगर को बढ़ने से रोकता है | जिन लोगो को डायबिटीज की समस्या नहीं है | वह इस फल का सेवन कर डायबटीज़ के शिकार होने से बच सकते है |
- हृदय की समस्याओ में लाभकारी:- ड्रैगन फ्रूट का फल हृदय संबंधित समस्याओ में भी सहायता प्रदान करता है | जब शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का प्रभाव बढ़ जाता है, तब डॉक्टर एंटीऑक्सीडेंट गुण की मात्रा को पूरा करने के लिए फल और सब्जी खाने की सलाह देते है | इस दौरान ड्रैगन फ्रूट के फल का सेवन आपके लिए अधिक लाभकारी है |
- कैंसर के रोग में:- इसके फलो में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीट्यूमर और एंटी इंफ्लेमेटरी के गुण पर्याप्त मात्रा में पाए जाते है| कई रिसर्च में यह पता चला है, की ड्रैगन फ्रूट में मौजूद खास गुण महिलाओ में ब्रैस्ट कैंसर के होने वाले खतरे को कम करता है |
- कोलेस्ट्रॉल:- वर्तमान समय में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना एक आम समस्या हो गयी है | शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाने पर कई तरह की समस्याए होने लगती है | इसमें हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है | ड्रैगन फ्रूट का सेवन कोलेस्ट्रॉल में लाभकारी माना जाता है |
- पेट संबंधी विकारो में:- ड्रैगन फ्रूट में ओलिगोसैकराइड (एक प्रकार का केमिकल) के प्रीबायोटिक गुण पाए जाते है | जो आंतो में मौजूद स्वस्थ बैक्टीरिया की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे पाचन शक्ति मजबूत होती है| इसलिए यह फल पेट के लिए भी अच्छा होता है |
- गठिया में सहायक:- गठिया या आर्थराइटिस एक ऐसी समस्या है, जो शरीर के जोड़ो को विशेष रूप से प्रभावित करता है | यह बीमारी जोड़ो में दर्द और सूजन को बढ़ा देती है, जिससे रोगी को उठने बैठने में अधिक तकलीफ का सामना करना पड़ता है | ड्रैगन फ्रूट ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को बढ़ने से रोकता है, क्योकि यह गठिया का एक मुख्य कारण भी है | इसलिए गठिया से परेशान व्यक्तियों को ड्रैगन फ्रूट का सेवन करना चाहिए |
- इम्युनिटी बढ़ाने के लिए:- हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति (Immunity) हमें कई तरह की बीमारियों से लड़ने में मदद करती है | यह इम्यून सिस्टम शरीर के खास अंग, केमिकल और सेल्स की सहायता से बनता है | जो हमारे शरीर में आने वाले संक्रमणों को नष्ट करने में सहायता प्रदान करता है | ड्रैगन फ्रूट हमारे शरीर की इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है |
- डेंगू में लाभकारी:- डेंगू एक खतरनाक बीमारी होती है, जिससे कभी-कभी लोगो की कुछ ही समय में अधिक हालत ख़राब हो जाती है | डेंगू का रोग शरीर को अधिक तेजी से हानि पहुंचाता है | ड्रैगन फ्रूट के बीजो में एंटीवायरल और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते है, जो डेंगू के लक्षण को तेजी से कम करने में मदद करता है |
ड्रैगन की उन्नत किस्में (Dragon Improved Varieties)
भारत में ड्रैगन फ्रूट की निम्न तीन किस्में ही उगाई जाती है | इसकी किस्मों को फलो और बीजो के रंग के आधार पर विभाजित किया गया है|
सफ़ेद ड्रैगन फ्रूट
ड्रैगन फ्रूट की इस क़िस्म को भारत में अधिक मात्रा में उगाया जाता है | क्योकि इसका पौधों आसानी से प्राप्त हो जाता है | इसके पौधों पर निकलने वाले फलो का भीतरी भाग सफ़ेद और छोटे-छोटे बीजो का रंग काला होता है | इस क़िस्म का बाज़ारी भाव अन्य किस्मों से थोड़ा कम होता है|
लाल गुलाबी
यह क़िस्म भारत में बहुत ही कम उगाई जाती है | इसके पौधों पर निकलने वाले फलो का ऊपरी और आंतरिक रंग गुलाबी होता है | यह फल खाने में अधिक स्वादिष्ट होता है | इस क़िस्म का बाज़ारी भाव सफ़ेद वाले फलो से अधिक होता है |
पीला
इस क़िस्म का उत्पादन भी भारत में बहुत ही कम होता है | इसमें पौधों पर आने वाले फलो का बाहरी रंग पीला और आंतरिक रंग सफ़ेद होता है | यह फल स्वाद में काफी अच्छा होता है, जिसकी बाज़ारी कीमत भी सबसे अधिक होती है |
ड्रैगन फ्रूट के खेत की तैयारी, उवर्रक (Dragon Fruit Farm Preparation)
ड्रैगन फ्रूट की फसल को खेत में लगाने से पूर्व खेत को ठीक तरह से तैयार कर लेना होता है | इसके लिए सबसे पहले खेत की मिट्टी पलटने वाले हलो से गहरी जुताई कर दी जाती है, इससे खेत में मौजूद पुरानी फसल के अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो जाते है | जुताई के बाद खेत में पानी लगाकर पलेव कर दे | इसके बाद खेत की दो से तीन तिरछी जुताई कर दी जाती है | जिससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है | भुरभुरी मिट्टी को पाटा लगाकर समतल कर दिया जाता है | समतल खेत में पौधों की रोपाई के लिए गड्डो को तैयार कर लिया जाता है | इन गड्डो को पंक्तियों में तैयार किया जाता है, जिसमे प्रत्येक गड्डे को तीन मीटर की दूरी रखी जाती है |यह सभी गड्डे डेढ़ फ़ीट गहरे और 4 फ़ीट चौड़े व्यास के होने चाहिए | गड्डो की पंक्तियों के मध्य चार मीटर की दूरी होनी चाहिए |
गड्डे बनाने के पश्चात् गड्डो को उचित मात्रा में उवर्रक देना होता है, जिसके लिए प्राकृतिक और रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया जाता है | इसके लिए 10 से 15 KG पुरानी गोबर की खाद के साथ 50 से 70 KG एन.पी.के. की मात्रा को मिट्टी में अच्छे से मिलाकर गड्डो में भर दिया जाता है | इसके बाद गड्डो की सिंचाई कर दी जाती है | उवर्रक की इस मात्रा को तीन वर्ष तक पौधों को दे|
ड्रैगन फ्रूट की खेती में सपोर्टिंग सिस्टम तैयार करने का तरीका (Dragon Fruit Cultivation Create a Supporting System)
ड्रैगन फ्रूट के पौधों से 20 से 25 वर्ष के लम्बे समय तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है | किन्तु इसके पौधों को तैयार होने के लिए खेत में सपोर्ट की आवश्यकता होती है | जिसमे अधिक खर्च भी आता है | पौधों को सपोर्ट देने के लिए सीमेंट के 7 से 8 फ़ीट लम्बे खम्भों को तैयार कर लिया जाता है | इन खम्भों को भूमि में दो से तीन फ़ीट की गहराई में लगाना होता है | इसके बाद पिल्लर के चारो और पौधों को लगा दे | जब पौधा बड़ा हो जाये तो उन्हें, इन खम्भों के सहारे बांध दे, और निकलने वाली शाखाओ को पिल्लर के चारो और लटका दिया जाता है | एक हेक्टेयर के खेत में तकरीबन 1200 पिलर्स लगाने पड़ते है |
ड्रैगन फ्रूट के पौध की रोपाई का तरीका और समय (Dragon Fruit Seedlings Method and Transplanting)
ड्रैगन फ्रूट के बीजो की रोपाई बीज और पौध दोनों ही तरीको से की जा सकती है | किन्तु पौध के माध्यम से पौधों की रोपाई करना सबसे अच्छा होता है | पौध के माध्यम से की गयी रोपाई के पश्चात पौधा पैदावार देने में दो वर्ष का समय ले लेता है | इसलिए आप किसी सरकारी रजिस्टर्ड नर्सरी से पौधों को खरीद सकते है | यदि आप रोपाई बीज के रूप में करना चाहते है, तो आपको पैदावार प्राप्त करने में 6 से 7 वर्ष तक इंतजार करना पड़ सकता है |
ख़रीदे गए पौधों को खेत में तैयार गड्डो में लगाना होता है, गड्डे के चारो और सपोर्टिंग सिस्टम को तैयार कर ले | इसके पौधों की रोपाई के लिए जून और जुलाई का महीना सबसे उपयुक्त होता है | इस दौरान बारिश का मौसम होता है, जिससे पौध विकास के लिए अनुकूल वातावरण मिल जाता है | सिंचित जगहों पर पौधों की रोपाई फ़रवरी से मार्च के माह तक भी की जा सकती है | एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन 4450 पौधे लगाए जा सकते है |
ड्रैगन फ्रूट के पौधों की सिंचाई (Dragon Fruit Plants Irrigation)
ड्रैगन फ्रूट के पौधों को कम ही पानी की आवश्यकता होती है | गर्मियों के मौसम में इसके पौधों को सप्ताह में एक बार तथा सर्दियों में 15 दिन में एक बार पानी देना होता है | बारिश के मौसम में समय पर बारिश न होने पर ही पौधों की सिंचाई करे | जब इसके पौधों पर फूल आना शुरू कर दे उस दौरान पौधों को पानी बिल्कुल न दे, तथा खेत में फल बनने के दौरान नमी बनाये रखे | इससे अच्छी गुणवत्ता वाले फल प्राप्त होते है | पौधों की सिंचाई के लिए ड्रिप विधि का इस्तेमाल सबसे अच्छा माना जाता है |
ड्रैगन फ्रूट के पौधों पर खरपतवार नियंत्रण (Dragon Fruit Plants Weed Control)
ड्रैगन फ्रूट की फसल में भी खरपतवार नियंत्रण की जरूरत होती है | इसके लिए पौधों की निराई – गुड़ाई की जाती है | इसकी पहली गुड़ाई पौध रोपाई के एक माह पश्चात् की जाती है, तथा बाद की गुड़ाइयो को खेत में खरपतवार दिखाई देने पर करे | ड्रैगन फ्रूट की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए रासायनिक विधि का इस्तेमाल नहीं किया जाता है |
ड्रैगन फ्रूट फसल रोग (Dragon Fruit Crop Disease)
ड्रैगन फ्रूट की फसल में अभी तक किसी तरह के रोग देखने को नहीं मिले है | किन्तु फल तुड़ाई के पश्चात् शाखाओ से निकले रस पर चीटिया लग जाती है | इन चीटियों के आक्रमण को रोकने के लिए नीम की पत्ती या नीम के तेल का छिड़काव पौधों पर करे |
सफेद मूसली की खेती कैसे होती है
ड्रैगन फ्रूट के फलो की तुड़ाई (Dragon Fruit Plucking)
पौध के रूप में की गयी रोपाई से ड्रैगन के पौधे दो वर्ष पश्चात् पैदावार देना आरम्भ कर देते है | मई के महीने में इसके पौधों पर फूल निकलने लगते है, तथा दिसंबर तक फलो का उत्पादन होता रहता है | इसके फल 5 से 6 तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते है | जब फलो का रंग हरे से गुलाबी हो जाये तब उन्हें तोड़ ले | पूर्ण रूप से पका फल लाल रंग का दिखाई देता है |
ड्रैगन फ्रूट की कीमत, पैदावार और लाभ (Dragon Fruit Price, Yield and Benefits)
ड्रैगन फ्रूट की पहली फसल से 400 से 500 KG का उत्पादन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्राप्त हो जाता है | किन्तु जब पौधा 4 से 5 वर्ष पुराना हो जाता है,तो यदि उत्पादन बढ़कर 10 से 15 टन प्रति हेक्टेयर हो जाता है | ड्रैगन फ्रूट के एक फल का वजन 400 से 800 GM तक होता है | जिसका बाज़ारी भाव 150 से 300 रूपए प्रति किलो तक होता है | किसान भाई इसकी पहली फसल से 60,000 से लेकर डेढ़ लाख तक की कमाई आसानी से कर सकते है, तथा चार से पांच वर्ष पुराने पौधों से अधिक पैदावार प्राप्त कर 30 लाख तक की कमाई प्रति वर्ष कर किसान भाई अधिक मात्रा में लाभ कमा सकते है |
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