जानें, रबड़ की खेती का तरीका और उत्पादन काल में रखने वाली सावधानियां
भारत एक कृषि प्रधान देश हैं। भारत में 60 प्रतिशत आबादी कृषि क्षेत्र पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से निर्भर हैं। भारत के किसान अब पारंपरिक खेती के साथ-साथ अपनी आय बढ़ाने के लिए व्यावसायिक खेती की तरफ रुझान कर रहें हैं।
इसी कड़ी में रबड़ की खेती करके किसान अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। भारत रबड़ उत्पादन के मामले में विश्व में चौथे स्थान पर है। भारत में केरल सबसे ज्यादा रबड़ का उत्पादन करने वाला राज्य है। केरल के साथ ही भारत के अन्य राज्यों में भी रबड़ की खेती की जाती है। रबड़ का उपयोग करके उपयोग गाडि़यों के टायर और ट्यूबों के बनाने में तथा जूतों के तले और एड़ियाँ, बिजली के तार, खिलौने, बरसाती कपड़े, चादरें, खेल के सामान, बोतलों और बरफ के थैलों, सरजरी के सामान, टायर, इंजन की सील, गेंद, इलास्टिक बैंड व इलेक्ट्रिक उपकरणों इत्यादि को बनाने में भी किया जाता है। कोरोना जैसी महामारी में रबड़ का उपयोग करके पीपीटी किट भी बनाई गई थी। इसीलिए भारत के साथ-साथ विश्व में रबड़ की डिमांड दिन- प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। किसान भाइयों आज हम ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट के माध्यम से आपके साथ रबड़ की खेती से जुड़ी सभी जानकारी साझा करेंगे।
Contents
- 1 जानें, रबड़ की खेती का तरीका और उत्पादन काल में रखने वाली सावधानियां
- 1.1 रबड़ की खेती करने वाले प्रमुख देश
- 1.2 रबड़ की खेती करते समय ध्यान रखने योग्य बातें (Rubber Farming)
- 1.2.1 1. रबड़ की खेती करने के लिए अनुकूल जलवायु
- 1.2.2 2. रबड़ की खेती करने के लिए उपयुक्त मिट्टी
- 1.2.3 3. रबड़ की खेती करने के लिए खेत की तैयारी कैसे करें
- 1.2.4 4. रबड़ के पौधे लगाने के लिए उपयुक्त समय
- 1.2.5 5. रबड़ की खेती करने के लिए उन्नत किस्में
- 1.2.6 6. रबड़ के पौधों की रोपाई कैसे करें
- 1.2.7 7. रबड़ की खेती में खाद व उर्वरक प्रबंधन
- 1.2.8 8. रबड़ के पौधों की सिंचाई कैसे करें
- 1.2.9 9. रबड़ के पौधों की देखभाल कैसे करें?
- 1.3 एक बार रबड़ का पेड़ लगाने पर 40 साल तक प्राप्त करें उत्पादन
- 1.4 पौधे से रबड़ कैसे बनता है?
- 1.5 किसान कहां से लें रबड़ की खेती करने के लिए बीज, कहां बेचे रबड़ की प्राप्त उपज
रबड़ की खेती करने वाले प्रमुख देश
विश्व में रबड़ की खेती करने वाले प्रमुख देशों में थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, भारत, चीन तथा श्रीलंका है। भारत का रबड़ के उत्पादन में विश्व में चौथा स्थान है। भारत में रबड़ की खेती करने वाले प्रमुख राज्य केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक हैं।
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रबड़ की खेती करते समय ध्यान रखने योग्य बातें (Rubber Farming)
रबड़ की खेती करते समय अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता हैं। वो बातें इस प्रकार से हैं-
1. रबड़ की खेती करने के लिए अनुकूल जलवायु
रबड़ की खेती करने के लिए हल्की नरम जलवायु की आवश्यकता होती हैं। रबड़ का पौधा मुख्य तौर पर दक्षिण पूर्व एशिया में उष्ण कटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। रबड़ की खेती करने के लिए 25 से 30 डिग्री का तापमान उपयुक्त होती हैं और 150 से 200 सेंटीमीटर की वर्षा रबड़ की खेती करने के लिए उपयुक्त होती हैं।
2. रबड़ की खेती करने के लिए उपयुक्त मिट्टी
रबड़ की खेती करने के लिए लेटेराइट युक्त लाल दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का पीएच मान 4.5 से 6.0 के बीच का होना चाहिए।
3. रबड़ की खेती करने के लिए खेत की तैयारी कैसे करें
रबड़ की खेती करने से पहले इसके पौधों की रोपाई करने के लिए खेत की तैयारी करना आवश्यक होता है। क्योंकि रबड़ की खेती करने के लिए इसके तैयार पौधों की रोपाई गड्ढ़ों में की जाती है। इसलिए खेत में गड्ढ़ों को तैयार करने से पहले खेत की कल्टीवेटर की मदद से गहरी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी कर लेनी चाहिए। उसके बाद पाटा लगाकर खेत को समतल करना आवश्यक होता है। पाटा लगाने से खेत समतल हो जाता हैं जिससे खेत की सिंचाई करने में आसानी होती हैं।
4. रबड़ के पौधे लगाने के लिए उपयुक्त समय
रबड़ के पौधों को लगाने का सही समय जून से जुलाई के मध्य का है। रबड़ के पौधों का अच्छा विकास करने के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है, सूखा होने की स्थिति में पौधा कमजोर होता है, इसमें अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है।
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5. रबड़ की खेती करने के लिए उन्नत किस्में
भारतीय रबड़ अनुसंधान संस्थान ने कई सालों के शोध करने के बाद रबड़ की कई उन्नत किस्में विकसित की हैं, इन किस्मों की खेती से अच्छी मात्रा में लेटेक्स प्राप्त होता है। रबड़ की कुछ उन्नत किस्में हैं- तजीर 1, पीबी 86, बीडी 5, बीडी 10, पीआर 17, जीटी 1, आरआरआईआई 105, आरआरआईएम 600, पीबी 59, पीबी 217, पीबी 235, आरआरआईएम 703, आरआरआईआई 5, पीसीके-1, 2 और पीबी 260 आदि हैं।
6. रबड़ के पौधों की रोपाई कैसे करें
रबड़ की खेती करते समय खेत की तैयारी करने के बाद रबड़ की पौधों की रोपाई गड्ढ़ों में की जाती हैं। इसके लिए खेत में एक गड्ढ़े से दूसरे गड्ढ़े के बीच 3 मीटर की दूरी रखना आवश्यक होता हैं। गड्ढ़े एक फीट चौड़े और एक फीट गहरे होने चाहिए। सभी गड्ढ़ों को एक कतार में तैयार करें। इसके साथ ही पौधों की रोपाई के समय मिट्टी के अनुसार कृषि विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर जैविक खाद एवं रासायनिक उर्वरक जैसे पोटाश, नाइट्रोजन और फॉस्फोरस का उचित मात्रा में प्रयोग करें। रबड़ की पौधों की रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई अवश्य कर दे।
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7. रबड़ की खेती में खाद व उर्वरक प्रबंधन
रबड़ की पौधे की रोपाई के लिए गड्ढा तैयार करते समय प्रत्येक पौधे के गड्ढे में 10 से 12 किलो अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद या जैविक खाद और 225 ग्राम रॉक फॉस्फेट का उपयोग करना चाहिए। रबड़ के पौधों का विकास करने के लिए समय-समय पर पोटाश, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस से पर्याप्त मिश्रित उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए और रबड़ की खेती में खरपतवार नियंत्रण के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना आवश्यक होता हैं।
8. रबड़ के पौधों की सिंचाई कैसे करें
रबड़ के पेड़ को अधिक पानी की जरूरत होती है, इसलिए इसके पौधों को बार-बार पानी देने की आवश्यकता होती है। रबड़ का पौधा सूखा जैसी स्थिति नहीं सहन कर पाता। इसलिए रबड़ के खेत में नमी बनाए रखने के लिए समय-समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए।
9. रबड़ के पौधों की देखभाल कैसे करें?
रबड़ के पौधों को सही संतुलन और उचित जलवायु की जरूरत होती है। इसका अर्थ है, कि अधिक प्रकाश और नम भूमि पौधों को स्वस्थ रखने के लिए पर्याप्त उवर्रक प्रदान करता है। इसके पौधों पर पत्तियां मोमी वाली होती है, जिसका रंग शुरुआत में गुलाबी-कोरल का होता है। रबड़ के पौधे की लंबाई अधिक होती है, जिस वजह से इसे गिरने से रोकने के लिए लंबी लकड़ी का सहारा देना पड़ता है।
एक बार रबड़ का पेड़ लगाने पर 40 साल तक प्राप्त करें उत्पादन
रबड़ का पेड़ एक बार लगाने पर 5 वर्ष का होने के बाद उत्पादन देना शुरु कर देता है, लेकिन 14 साल में उत्पादन उच्च स्तर पर पहुंचता है और लगभग 40 वर्षों तक पैदावार देता रहता है। एक एकड़ के खेत में रबड़ के 150 पौधे लगाए जा सकते हैं। एक पेड़ से एक साल में 2.75 किलो तक रबर का उत्पादन प्राप्त होता है। इस तरह से किसान भाई 100 से 350 किलो तक रबड़ का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। रबड़ का एक पेड़ 14 साल से लेकर 25 साल तक दूध (लेटेक्स) का अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है। हालांकि 25 साल बाद पेड़ों से लेटेक्स का उत्पादन कम प्राप्त होना शुरू हो जाता है। जिसके बाद इन पेड़ों को दूसरे कामों के लिए बेच दिया जाता है। सामान्तयः रबड़ के पेड़ 40 साल के बाद गिर जाते हैं। इन पेड़ों से प्राप्त लकड़ी का इस्तेमाल रबड़वुड फर्नीचर बनाने में होता है।
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पौधे से रबड़ कैसे बनता है?
- रबड़ के पौधे से रबड़ को बनाने के लिए उसके पेड़ के तनों में छेद कर पेड़ से निकलने वाले दूध (लेटेक्स) को इकट्ठा कर लिया जाता है।
- दूध (लेटेक्स) को इकट्ठा करने के बाद इस लेटेक्स का केमिकल्स के साथ परीक्षण करते है, ताकि अच्छी गुणवत्ता वाला रबड़ प्राप्त हो सके।
- इसके बाद लेटेक्स को गाढ़ा होने के लिए रख देते है, लेटेक्स में मौजूद पानी के सूख जाने के बाद केवल रबड़ ही रह जाता है।
- रबड़ के पेड़ से निकलने वाले दूध (लेटेक्स) पानी से भी हल्का होता है, जिसमें रबड़ के अलावा शर्करा, प्रोटीन, रेज़िन, खनिज लवण और एंजाइम्स भी पाया जाता है।
- रबड़ में इतना लचीला पन पाया जाता है, जिससे रबड़ अपने आकार से 8 गुना तक लंबा हो सकता है, रबड़ के इसी गुण की वजह से रबड़ के जूते, गेंद और गुब्बारे जैसी वस्तुओं को बनाया जाता है।
किसान कहां से लें रबड़ की खेती करने के लिए बीज, कहां बेचे रबड़ की प्राप्त उपज
रबड़ की खेती की शुरुआत करने से पहले आप रबर बोर्ड व कृषि वैज्ञानिक से अधिक उत्पादन के लिए सलाह ले सकते हैं। छोटे व सीमांत किसान स्थानीय रबड़ नर्सरी से जाकर रबड़ के पौधे खरीद सकते हैं। रबड़ की खेती करने के लिए रबर बागान योजना के अंर्तगत किसानों को बीज उपलब्ध कराए जाते हैं। रबड़ की प्राप्त उपज की बिक्री की बात करें, तो किसान कंपनियां व रबड़ प्रोसेसिंग यूनिट्स को अपनी उपज बेच सकते हैं।
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रबड़ की खेती के लिए गर्म जलवायु उपयुक्त होती है। इसकी खेती करने के लिए 25 से 30 डिग्री का तापमान उपयुक्त होता है। 50 से 200 सेंटीमीटर की वर्षा रबड़ की खेती करने के लिए उपयुक्त होती है। लेटेराइट युक्त लाल दोमट मिट्टी रबड़ की खेती के लिए सबसे उपयुक्त होती है और मिट्टी का पीएच मान 4.5 से 6.0 के बीच का होना चाहिए।
सही उत्तर केरल है। केरल भारत में रबड़ का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला राज्य है। 2018-19 के आंकड़ों के अनुसार, केरल भारत में कुल प्राकृतिक रबड़ उत्पादन का लगभग 75-80% उत्पादन करता है। भारत में प्राकृतिक रबड़ उत्पादन के मामले में त्रिपुरा दूसरे स्थान पर है।
प्राकृतिक रबर पेड़ों और लताओं के रस, या रबरक्षीर (latex) से बनता है। इसे ‘भारतीय रबर’ भी कहते हैं। यूफॉर्बिएसिई (Euphorbiaceae) कुल तथा अर्टिकेसिई (Urticaceae), एपोसाइनेसिई (Apocynaceae) कुल तथा कंपोज़िटी कुल की ग्वायुले (Guayule) इत्यादि के बड़े बड़े वृक्षों, कुछ लताओं और झाड़ियों के रबरक्षीर से रबर प्राप्त होता है।
भारत में रबड़ का उत्पादन मुख्य रूप से दक्षिणी भारत में विशेषकर केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में होता है। केरल भारत का सबसे बड़ा रबड़ उत्पादक राज्य है। इसके अलावा पूर्वात्तर में असम और त्रिपुरा में भी रबर की खेती होती है।
रबड़ साक्षर या दोमट मिट्टी में उगाया जाता है, ज्यादातर ढलान वाली और लहरदार भूमि या थोड़ी ऊँची विस्तृत समतल भूमि में जहाँ पानी के ठहराव की कोई संभावना नहीं होती है, और अच्छी जल निकासी की सुविधा होती है।
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