भारत में पुष्प व्यवसाय में गेंदा का महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि इसका धार्मिक तथा सामाजिक अवसरों पर वृहत् रूप में व्यवहार होता है। गेंदा फूल को पूजा अर्चना के अलावा शादी-ब्याह, जन्म दिन, सरकारी एवं निजी संस्थानों में आयोजित विभिन्न समारोहों के अवसर पर पंडाल, मंडप-द्वार तथा गाड़ी, सेज आदि सजाने एवं अतिथियों के स्वागतार्थ माला, बुके, फूलदान सजाने में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
गेंदा के फूल का उपयोग मुर्गी के भोजन के रूप में भी आजकल बड़े पैमाने पर हो रहा है। इसके प्रयोग से मुर्गी के अंडे की जर्दी का रंग पीला हो जाता है, जिससे अण्डे की गुणवत्ता तो बढ़ती ही है, साथ ही आकर्षण भी बढ़ जाता है।
Contents
- 1 खाद एवं उर्वरक | Nutrition Management For Marigold Cropping
- 2 गेंदा का प्रसारण
- 3 रोपाई | How To Planting Marigold Farming for Commercial Object
- 4 जल एवं जल निकास प्रबंधन |Water And Water Drainage management
- 5 पिंचिंग | Pitching For Marigold Farming
- 6 Crop Protection Management For Marigold Cultivation
- 7 कीड़े और बीमारी |
गेंदे की खेती की उन्नत तकनीकी | गेंदा फूल की वैज्ञानिक खेती | Marigold Farming Advanced Technology
गेंदा के औषधीय गुण | Marigold Ayurveda Benefits
अपनी औषधीय गुणों के कारण गेंदा का एक खास महत्व है। गेंदा के औषधीय गुण निम्नलिखित हैं-
कान दर्द में गेंदा के हरी पत्ती का रस कान में डालने पर दर्द दूर हो जाता है। खुजली, दिनाय तथा फोड़ा में हरी पत्ती का रस लगाने पर रोगाणु रोधी का काम करती है। अपरस की बीमारी में हरी पत्ती का रस लगाने से लाभ होता है।
अन्दरूनी चोट या मोच में गेंदा के हरी पत्ती के रस से मालिश करने पर लाभ होता है।
साधारण कटने पर पत्तियों को मसलकर लगाने से खून का बहना बन्द हो जाता है।
फूलों का अर्क निकाल कर सेवन करने से खून शुद्ध होता है।
ताजे फूलों का रस खूनी बवासीर के लिए भी बहुत उपयोगी होता है।
गेंदा की खेती के लिए भूमि | Marigold Farming Soil Selection
गेंदा की खेती के लिए दोमट, मटियार दोमट एवं बलुआर दोमट भूमि सर्वोत्तम होती है जिसमें उचित जल निकास की व्यवस्था हो ।
भूमि की तैयारी | Field Preparation For Marigold Cultivation
भूमि को समतल करने के बाद एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से तथा 2-3 बार देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई करके एवं पाटा चलाकर, मिट्टी को भुरभुरा बनाने एवं ककर पत्थर आदि को चुनकर बाहर निकाल दें तथा सुविधानुसार उचित आकार की क्यारियाँ बना दें।
व्यवसायिक किस्में | Advanced Commercial Improved Varieties For Marigold Farming
अधिक ऊपज लेने के लिए परम्परागत किस्मों की जगह केवल सुधरी किस्में ही बोनी चाहिए। गेंदा की कुछ प्रमुख उन्नत किस्में निम्न हैं –
1. अफ्रिकन गेंदा
इसके पौधे अनेक शाखाओं से युक्त लगभग 1 मीटर तक ऊँचे होते हैं, इनके फूल गोलाकार, बहुगुणी पंखुड़ियों वाले तथा पीले व नारंगी रंग का होता है। बड़े आकार के फूलों का व्यास 7-8 सेमी. होता है। इसमें कुछ बौनी किस्में भी होती हैं, जिनकी ऊँचाई सामान्यत: 20 सेमी. तक होती है। अफ्रिकन गेंदा के अन्तर्गत व्यवसायिक दृष्टिकोण से उगाये जाने वाले प्रभेद-पूसा नारंगी, पूसा वसन्तु अफ्रिकन येलो इत्यादि है।
2. फ्रांसीसी गेंदा
इस प्रजाति की ऊँचाई लगभग 25-30 सेमी. तक होती है इसमें अधिक शाखायें नहीं होती हैं किन्तु इसमें इतने अधिक पुष्प आते हैं कि पूरा का पूरा पौधा ही पुष्पों से ढँक जाता है। इस प्रजाति के कुछ उन्नत किस्मों में रेड ब्रोकेट, कपिड येलो, बोलेरो, बटन स्कोच इत्यादि है।
खाद एवं उर्वरक | Nutrition Management For Marigold Cropping
गेंदा की अच्छी ऊपज है तो खेत की तैयारी से पहले 200 क्विंटल कम्पोस्ट प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिला दें । तत्पश्चात 120-160 किलो नेत्रजन, 60-80 किलो फास्फोरस एवं 60-80 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग प्रति है क्टेयर की दर से करें। नेत्रजन की आधी मात्रा एवं फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा खेत की अन्तिम जुताई के समय मिट्टी में मिला दें। नेत्रजन की शेष आधी मात्रा पौधा रोप के 30-40 दिन के अन्दर प्रयोग करें।
गेंदा का प्रसारण
गेंदा का प्रसारण बीज एवं कटिंग दोनों विधि से होता है इसके लिए 300-400 ग्राम बीज प्रति है क्टर की आवश्यकता होती है जो 500 वर्ग मीटर के बीज शैय्या में तैयार किया जाता है, बीज शैय्या में बीज की गहराई 1 सेमी. से अधिक नहीं होना चाहिए। जब कटिंग द्वारा गेंदा का प्रसारण किया जाता है उसमें ध्यान रखना चाहिए कि हमेशा कटिंग नये स्वस्थ पौधे से लें जिसमें मात्र 1-2 फूल खिला हो, कटिंग का आकार 4 इंच (10 सेमी) लम्बा होना चाहिए। इस कटिंग पर रूटेक्स लगाकर बालू से भरे ट्रे में लगाना चाहिए। 20-22 दिन बाद इसे खेत में रोपाई करना चाहिए।
रोपाई | How To Planting Marigold Farming for Commercial Object
गेंदा फूल खरीफ, रबी, जायद तीनों सीजन में बाजार की मांग के अनुसार उगाया जाता है। लेकिन इसके लगाने का उपयुक्त समय सितम्बर-अक्टूबर है। विभिन्न मौसम में अलग-अलग दूरी पर गेंदा लगाया जाता है जो निम्न है
खरीफ (जून से जुलाई) – 60 x 45 सेमी.
रबी (सितम्बर–अक्टूबर) – 45 x 45 सेमी.
जायद (फरवरी-मार्च) – 45 x 30 सेमी.
जल एवं जल निकास प्रबंधन |Water And Water Drainage management
खेत की नमी को देखते हुए 5-10 दिनों के अन्तराल पर गेंदा में सिंचाई करनी चाहिए। यदि वर्षा हो जाय तो सिंचाई नहीं करना चाहिए।
पिंचिंग | Pitching For Marigold Farming
रोपाई के 30-40 दिन के अन्दर पौधे की मुख्य शाकीय कली को तोड़ देना चाहिए। इस क्रिया से यद्यपि फूल थोड़ा देर से आयेंगे, परन्तु प्रति पौधा फूल की संख्या एवं ऊपज में वृद्धि होती है। निकाई-गुड़ाई लगभग 15-20 दिन पर आवश्यकतानुसार निकाई-गुड़ाई करनी चाहिए। इससे भूमि में हवा का संचार ठीक संग से होता है एवं वांछित खरपतवार नष्ट हो जाते हैं। रोपाई के 60 से 70 दिन पर गेंदा में फूल आता है जो 90 से 100 दिनों तक आता रहता है। अतः फूल की तोड़ाई साधारणतया सायंकाल में की जाती है। फूल को थोड़ा डंठल के साथ तोड़ना श्रेयस्कर होता है। फूल का कार्टून जिसमें चारों तरफ एवं नीचे में अखबार फैलाकर रखना चाहिए एवं ऊपर से फिर अखबार से ढँक कर कार्टून बन्द करना चाहिए।
Crop Protection Management For Marigold Cultivation
कीड़े और बीमारी |
लीफ हापर, रेड स्पाइडर, इसे काफी नुकसान पहुँचाते हैं। इसके रोकथाम के लिए मैलाथियान 0.1 प्रतिशत का छिड़काव करें।
गेंदा में मोजेक, चूर्णी फफूद एवं फूटराट मुख्य रूप से लगता है। मोजेक लगे पौधे को उखाड़कर मिट्टी तले दबा दें एवं गेंदा में कीटनाशक दवा का छिड़काव करें जिससे मोजेक के विषाणु स्थानान्तरित करने वाले कीट का नियंत्रण हो इसका विस्तार एवं दूसरे पौधे में न हो। चूर्णी फफूद के नियंत्रण है तो 0.2 प्रतिशत गंधक का छिड़काव करें एवं फुटराट के नियंत्रण है तो इण्डोफिल एम-45 0.25 प्रतिशत का 2-3 बार छिड़काव करें।
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