भारत को पूरी दुनियाँ में गेहूँ उत्पादन के क्षेत्र में दूसरा स्थान प्राप्त है | खरीफ की फसल की कटाई के तुरंत बाद ही किसान रबी की फसल की तैयारी शुरू कर देते है | रबी की अनेक फसलों में से गेहूँ एक प्रमुख फसल मानी जाती है | इसलिए किसान गेहूँ के उत्पादन के समय अधिक ध्यान रखता है | पिछले 4 दशकों में भारत को गेहूँ के उत्पादन में महारत हासिल है | वर्ष 1964-65 में जहाँ गेहूँ का उत्पादन 12.26 मिलियन टन था, वही वर्ष 2019-20 में उत्पादन बढ़कर 107.18 मिलियन टन के शिखर तक पहुंच गया |
Contents
- 1 गेहूं की उन्नत किस्में से सम्बंधित जानकारी
- 1.1 गेहूँ की उन्नत किस्मे (Wheat Improved Varieties)
- 1.2 Types of Wheat Grains
- 1.3 गेहूँ के बीजो की बुवाई का समय, बीज दर व उर्वरक की सही मात्रा
- 1.4 गेहूं की उच्च उर्वरता में पोषण प्रबंधन
- 1.5 फ़सल की जीरो टिलेज व टर्बो हैप्पी सीडर से बुवाई का तरीका
- 1.6 गेहूं की खेती में सिंचाई प्रबंधन कितना जरूरी है
- 1.7 गेहूं की फ़सल में कटाई और भंडारण का तरीका
गेहूं की उन्नत किस्में से सम्बंधित जानकारी
देश में अधिक जनसँख्या वृद्धि होने के कारण गेहूँ के उत्पादन व उत्पादकता में निरंतर वृद्धि की आवश्यकता होती है | देश में सभी लोगो को नियमित रूप से अनाज प्राप्त हो इसके लिए किसान द्वारा फसल का उत्पादन उच्च तकनीक का इस्तेमाल करके खेती की जा रही है | फसल की अच्छी उपज हो इसके लिए किसानो द्वारा उत्तम किस्मो को उपयोग में लाया जा रहा है | इस पोस्ट में आपको गेहूं की उन्नत किस्में, Types of Wheat Grains, Varieties of Wheat in Hindi,से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है |
गेहूँ की उन्नत किस्मे (Wheat Improved Varieties)
गेहूँ की अच्छी फसल प्राप्त हो इसके लिए गेहूँ की उन्नत किस्मो का चयन करना होता है | किसान द्वारा चुनी गई उन्नत किस्म यह निर्धारित करती है उपज कितनी होगी | आपको गेहूँ की ऐसी की कुछ किस्मो के बारे में बताया जा रहा है, जो उच्च उत्पादकता व रोगरोधी क्षमता वाली होती है |
सिंचित व समय से बीजाई के लिए एडीबीडब्ल्यू 303, डब्ल्यूएच 1270, पीबीडब्ल्यू 723 और सिंचित व देर से बुवाई के लिए डीबीडब्ल्यू 173, डीबीडब्ल्यू 71, पीबीडब्ल्यू 771, डब्ल्यूएच 1124, डीबीडब्ल्यू 90 व एचडी 3059 की उन्नत और प्रसिद्द किस्मो को चुना जा सकता है | यदि बीजो की बुवाई अधिक देरी से की जाती है, तो उसके लिए एचडी 3298 किस्म का चुनाव किया जाना चाहिए वही सिमित सिंचाई व समय के लिए WH 1142 किस्म को चुने |
ड्रिप सिंचाई क्या है
Types of Wheat Grains
भारतीय कृषि अनुसन्धान एवं राज्यों के विश्वविद्यालयो द्वारा विभिन्न प्रकार के क्षेत्रों के वातावरण, मिट्टी एवं सिंचाई के साधनो को ध्यान में रखते हुए ही गेहूं की कुछ उन्नत किस्मो को तैयार किया गया है | यहाँ पर आपको उन उन्नत किस्मो के बारे में बताया जा रहा है | किसान भाइयो को प्रमाणित बीजो को ही खरीदना चाहिए |
GW-173, GW-09, DWR-195, UP-2338, DL-803 (कंचन), मलेस्वरी (HI-8381), WH-896, राजलक्ष्मी (HP-1731), VLGehun-719, AKW-1071, ( Completed) सप्तरा PBW-343, Raj-3765, K-8962, गागा (HD-2643), अमर (HW-2004), विजय (DDK-1001), विदिशा (DL-788-2), HP-1761, राजेश्वरी (HP-1744), VLWheat-738, (VL-738), स्वप्निल (JWS-17), MACS-2846, GW-273, HS-365, नरेंद्र व्हाट-1012, नरेंद्र वीट-1014, गंगा (DDK-100) 9), भवानी (HW-1085), गोमती (K-9465), मालव शक्ति (HI-8498), मालवीय व्हीएट-468, (HUW-468), श्राष्ट (HD-2687), UP-2425, KRL-19 , PBW-396. PBW-443.
मालवा रत्न (HD-4672), K-9644, HW-2044, HD-2733, (VSM), मालवीया व्हीएट 510, (HUW 510), कश्यमबी(HW-2045), ADTA (HD-2781), GW-322 , VL-804, शारबाती सोनारा कलियन सोना छोटीलेरमा (S-331), सोनालिका सुरक्षित लेरमा C-306 लाल बहादुर A-9-13-1, D-134K-65 K-68, जनक अर्जुन UP-215, Raj- 911, मालवाईका, HY-65, (HD-1467), नारबादा-4, मुक्ता WL-711, गिरीजा मैक्स-9,प्रताप (HD-1911), WL-410,CC-464,HD-2177,HD- 2189,HD-2204,HD-4530,HP-1102,HP-209,मालवाईया-12,HW-657,IWP-72,जयराज K Puri (K-7410 “Shekhar”)
UP-115, VL गेहूं -421, KSML -3, LOK-1 KSHIPRA (HD -2236) ,HS -86 HW -517, MLKS -11, HB -208 ,HUW -37,SKML -1, (सोनलिका मल्टीलाइन -1) मालवीया -55 ,(HUW -55), रोहिणी (CPAN -1676) ,स्वाती (HI-784), HD -2278 ,HD -2281, WL -2265, सुजाता (HI-617), KDW -16 (केरथी), KDW-177, (किरण) WH-283, HUW-206, PBW-34 ,राज -2104, HD-2329, प्रगाटी (DWR-39, कुंडन ( DL-153-2), HUW-213, (मालाविया व्हीएट -213), CPAN-1796, HW-741, HD-2327 ,HD-2307 ,HUW -234 ,(मालवीया व्हीट -234).
राज -1972, VLगेहूं -616, PBW-138, PBW-65, PBW-20, MCM-1967, त्रिवेनी UP-110, 9 (पैन व्हीएट-110 9), HD-2402, HD 2270, HI-977, PBW -154, PBW -175, PBW-226, HS -207, HS -240, HD -2380, HD -2428, मगर ( के -8027) ,MANGLA RAJ-3077, HP -1493, KRL -1-4, HDR -77, WH -416, गुजरैट व्हीट -496, गुजरैट व्हीएट -503, HD -2501, मैक -2496, मालवीवा व्हीएट -318, (HUW-318) ,PDW-215 SANGAM, ( SPAN-3004), WH-542 ,HS-277 ,HS-295, अरधाना (HPW-42)
सोनाली (HP-1633), DWR-162, के -88 PWR-299, DL-784-3, DWH-533, अमृत (HI 1500), शताब्दी (के -0307), PDW-274 (डुरम), HD2733, (VSM) पुसा व्हीएट -107, (HD-2888), PBW-533 DBW– 16 , HPW155, (ONKAR) DBW14, DBW-17, शिवालिक (HS-420), हिजगिरी (HS 375), MP 4010, DDK– 1025, नरेंद्र व्हीट – 2036, पुसा व्हीएट-105 (HD-2833), VLगेहूं 829, (VL829), हरशिता (HI – 1531) , गोदावरी (NIDW-295), DWR-17, MP-1142 (SNEHIL), HD-2581, पुसा बोल्ड (डब्ल्यूआर -544,) NDW-1067, मैकएस -6145, पोरोवा (एचडी 2824), राज 4037, HD-2864, PBW-502, GDW-366 राज, -4083 HI8627, (मालव किर्ती) ,करजाट -6, DDK-1029, DL20-9, HB-501, HD-1925 (शेरा), HD-1941 (HIRA).
HD-2122, HD-213, HP-1303, HDW-971, HYB। 633 के -8020, के -802,7 के-पुरीवी (के -7410 शेखर), लेर्मा रोजो -64, NI-5439, NP-818, NP-846, राज -2535, सोनोरा – 64, VL-616, WH-331, हिमजीआई, DVW-14, MP-4010, VL वीएलगेहूं -829, राज -4037, वीएल-गेहुन, -832 उरजा (एचपी -2664), PDW-291, शालीमार व्हीट -1 (एसकेडब्ल्यू -196) ,ताओवन (एनआईएडब्ल्यू-9 7,) जीत ऑरेंज स्वीट कॉर्न। पुसा व्हीएट-111 (एचडी -2932), VLGHUN-89, WH -1021, पोशन (HI8663), पर्न (HI-1544), HPW-251 ,PWB-527, विमल PWB-550, राज -4120, पुसा बेकर (एचएस -4 9 0), MP- (जेडब्ल्यू), -3173, CBW-38, MP-203, UAS-415, PBW-590, PBW -596, मैक 291,
MPO (JW), 1215 (MPO1215), मैक 6222, PDW 314, DBW 39, VL गेहूं 907 ,(VL 907), WL -711, पुसा सुकेती (HS -507 ), पुसा प्रची (HI-1563), WHD -943, नेट्रावती (NIAW -1415) ,DPW 621-50 (PBW 621 और DBW 50) ,WH -1080, AKAW -4627, पुसा बेसेंट (HD 2 9 85), पुसा बाहर (HD 2 9 87) ,KRL -210, HD 3043, SAPTDHARA PBW -644, UAS -428, JW-3288, KRL-213, PBW 644, COW 2, HD-2967, MP 3288, (JW 3288), HPW 349, पुसा मंगल (HI 8713), पुसा थेंमालाई (WH 5216), WH 1105, RAJ -4238, DBW-9 0, DBW-71, HD-30 9 0, WH-1124, HD-3059, के -402, MP3336 (JW 3336).
UAS – 304, के0402 (MAHI), नरेंद्र व्हीट 4018 (NW -4018), DBW 90, पुसा गौतम (HI) 3086), DBW 88, HD 30 9 0, (पुसा अमूलिया), पुसा गौतम (HD) 3086) ,निलगरी खापली (HW 10 9 8), पुसा किरण (HS – 542), RSP 561,DBW 107, DBW 110, पुसा वैटसाला (HD 3118), पुसा एनामोल (HI 8737), WHD 9 48, शीटा- W 6 (AAI-W 6,) के0607 WH, 1124, नरेंद्र व्हीएट 5054, के 1006, मैक 6478, HD 2 9 67, HD -3086, PBW -621, PBW -658 ,PBW-66,0 PBW-677, PBW-725, पुसा गौतममी (HD 3086), टेस्ट वैरिटी वीट टेस्ट वैरिटी वेट टेस्ट HI-2026, HPW -24 9, HPW-360, HS-542 (पुसा किरण), WH-1142, राज -4128 GDW-1255, HD-4712, मैकएस -8874, GW-541, फुले सैमहान, पीडीकेवी सरदार वीएल -953, जेडब्लू -3382 ,एचडीसीएसडब्ल्यू -18, पीबीडब्ल्यू-750, एचएस 562, छत्तीसगढ़गेहूं -4 (सीजी-1015), छत्तीसगढ़गेहूं -3 (सीजी-1013).
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गेहूँ के बीजो की बुवाई का समय, बीज दर व उर्वरक की सही मात्रा
खेत में गेहूँ के बीजो की बुवाई करने से पहले खेत को प्रति हेक्टयेर की दर से 4-6 टन गोबर की खाद को मिट्टी में अच्छे से मिला देना चाहिए | इसके इस्तेमाल से मृदा की उवर्रक शक्ति भी बढ़ जाती है | खेत में गेहूँ की बुवाई का सही समय, बीज दर और रासायनिक उवर्रक का सही इस्तेमाल आपको दी गई तालिका में बताया गया है |
उत्पादन स्थिति | बुवाई का समय | बीज दर | खाद की मात्रा और डालने का समय |
सिंचित, समय से बुजाई | 25 अक्टूबर से 15 नवम्बर | 100 किग्रा/हेक्टयेर | 150:60:40 किलोग्राम/हैक्टेयर नत्रजन, फास्फोरस व पोटाश। एक तिहाई नत्रजन बीजाई के समय, एक तिहाई पहली सिंचाई पर व शेष दूसरी सिंचाई पर। |
सिंचित, देर से बुजाई | 25 नवम्बर से 25 दिसम्बर | 125 किग्रा/हेक्टयेर | 120:60:40 किलोग्राम/हैक्टेयर नत्रजन, फास्फोरस व पोटाश। आधा नत्रजन बीजाई के समय व शेष पहली सिंचाई पर। |
अधिक देरी से बुजाई | 25 दिसम्बर के बाद | 125 किग्रा/हेक्टयेर | 120:60:40 किलोग्राम/हैक्टेयर नत्रजन, फास्फोरस व पोटाश। आधा नत्रजन बीजाई के समय व शेष पहली सिंचाई पर। |
गेहूं की उच्च उर्वरता में पोषण प्रबंधन
गेहूं की उच्च उवर्रकता को प्राप्त करने के लिए इसकी नयी किस्मो के परीक्षण किये गए है, इस परीक्षण में 10-15 टन प्राकृतिक गोबर की खाद तथा उसमे रासायनिक उवर्रक की मात्रा को डेढ़ गुना बढ़ाकर प्रति हेक्टयेर के हिसाब से 25 अक्टूबर से 31 अक्टूबर के समय में परीक्षण किया गया है | इसका परिणाम काफी अच्छा पाया गया |
किये गए परीक्षण में गेहूं की बुवाई को 40 व 75 दिन के मध्य में दो बार वृद्धि अवरोधक क्लोरमिक्वाट (0.2) तथा प्रोपीकोनॉल (0.1) का भी छिड़काव भी किया गया जिससे वनस्पति की वृद्धि को रोका जा सके तथा उसके फुटाव को बढ़ावा भी मिल सके | गेहूं की फसल में अच्छी वृद्धि से उसे गिरने से रोका जा सकता है |
फ़सल की जीरो टिलेज व टर्बो हैप्पी सीडर से बुवाई का तरीका
जीरो टिलेज तकनीक का इस्तेमाल धान-गेहूं फ़सल में गेहूं की बुवाई के समय काफी लाभदायक और कारगर तकनीक के रूप में जानी जाती है | धान जीरो टिलेज तकनीक का इस्तेमाल कर जीरो ड्रिल मशीन से ही गेहूं की बुवाई की जाती है | इस तकनीक में धान की तकनीक के समय जमीन की संरक्षित नमी को उपयोग में लाया जाता है | वह क्षेत्र जहा पर धान की कटाई देर से होती है | उन जगहों पर इस मशीन का इस्तेमाल काफी लोकप्रिय माना जा रहा है |
यह तकनीक धान के फ़सल के प्रबंधक की सबसे प्रभावी विधि है, तथा जल भराव की स्थिति में यह काफी कारगार साबित हो रही है | इस तकनीक का इस्तेमाल कर की गई बुवाई की उपज पारम्परिक बुवाई की तुलना में बराबर या उससे अधिक होती है, तथा इसमें फ़सल गिरती भी नहीं है | फ़सल के अवशेष सतह पर होने से पौधे की जड़े अधिक समय तक नमी से संरक्षित रहती है | जिस वजह से तापमान वृद्धि का प्रतिकूल प्रभाव उपज पर नहीं पड़ता और खरपतवार भी नियंत्रित रहते है |
Vertical Farming in Hindi टमाटर की खेती कैसे करें
गेहूं की खेती में सिंचाई प्रबंधन कितना जरूरी है
गेहूं की अच्छी फ़सल प्राप्त करने के लिए फ़सल को 5-6 सिंचाई की आवश्यकता होती है | फ़सल की सिंचाई को पानी की उपलब्धता,मिट्टी का प्रकार एवं पौधों की आवश्यकता के आधार पर करना चाहिए | गेहूं के फ़सल की उपज तीन चरणों में होती है, पहला 21 दिनों में चंदेरी जड़ो को निकलना, दूसरा 65 दिनों में दूसरी गांठ का बनना और तीसरा 85 दिनों में दाने का बन जाना इन अवस्थाओं में फ़सल को सिंचाई की अति आवश्यकता होती है | सिंचाई की पर्याप्त मात्रा को बनाये रखने के लिए पहली सिंचाई को 21 दिन तथा इसके अतिरिक्त पांच सिंचाइयों को 20 दिन के अंतराल में करते रहना चाहिए |
फव्वारा और टपक विधि (ड्रिप सिंचाई) तकनीक के इस्तेमाल से होने वाली सिंचाई फ़सल के लिए काफी उपयुक्त मानी जाती है | पानी की कमी वाले क्षेत्रों में इनका उपयोग काफी पहले से होता रहा है | किन्तु अधिक जल वाले क्षेत्रों में इस तकनीक का प्रयोग कर जल संचय भी किया जा सकता है, और अच्छी उपज भी प्राप्त की जा सकती है | इस प्रकार की तकनीकों के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किसानो को सब्सिडी भी प्रदान होती रहती है |
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गेहूं की फ़सल में कटाई और भंडारण का तरीका
गेहूं की कटाई का सही समय तब माना जाता है जब गेहूं के दानो में नमी 20% से कम होकर दाना पककर सख्त हो जाती है, तब कम्बाइन हार्वेस्टर से कटाई, मढ़ाई और ओसाई के साथ की जाती है | इसकी उन्नत किस्मो में प्रति हेक्टयेर के हिसाब से 70-80 कुंतल की पैदावार प्राप्त हो जाती है | फ़सल के भंडारण से पहले गेहूं के दानो को अच्छी तरह से सूखा लेना चाहिए ताकि नमी की मात्रा 10-12 प्रतिशत ही बचे और फ़सल सुरक्षित स्तर पर आ जाये |
कीट से होने वाले नुकसान से बचने के लिए टूटे एवं कटे-फाटे दानो को अलग कर देना चाहिए | अनाज भंडारण के समय कीड़ो से बचाव के लिए तक़रीबन 10 कुंतल अनाज में एल्यूमिनियम फास्फाईड की एक टिकिया को रखना चाहिए |
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