एरोपोनिक तकनीक (Aeroponic Technology) की खेती से सम्बंधित जानकारी
जिस स्पीड से जनसँख्या वृद्धि हो रही है, इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आगे आने वाले कुछ वर्षों में सभी के लिए भोजन उपलब्ध करा पाना एक चिंता का विषय बना हुआ है | इस गंभीर समस्या के निराकरण के लिए वैज्ञानिकों द्वारा सतत प्रयास जारी है |
ऐसे में यह जरूरी है, कि खेती करनें के नए तरीकों को डेवलप किया जाये और जो तकनीकें पहले से ही हैं उन्हें अपनाया जाए | ताकि भोज्य पदार्थों को बढ़ती हुई आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके |
Contents
- 1 एरोपोनिक तकनीक (Aeroponic Technology) की खेती से सम्बंधित जानकारी
- 2 एरोपोनिक तकनीक क्या है (Aeroponic Technology)
- 3 एरोपोनिक तकनीक से खेती कैसे करे (Aeroponic Technology Farming)
- 4 एरोपोनिक तकनीक में खामियां (Aeroponic Technology Flaws)
- 5 भारत में एयरोपोनिक्स प्रणाली से खेती कहां होती है (Aeroponics System Farming in India)
- 6 एयरोपोनिक्स प्रणाली से उत्पादन कितना होता है (Aeroponics System Production)
- 7 एरोपोनिक प्रणाली से कौन से पौधे उगा सकते हैं? (What Plants Can Grow From The Aeroponic System?)
इसी क्रम में अमेरिका के न्यूजर्सी में विश्व का सबसे बड़ा कृत्रिम फार्म (Artificial farm) डेवलप किया गया है, जहाँ सब्जियों का उत्पादन बिना मिट्टी, पानी और सूर्य की रोशनी के किया जा रहा है | इस प्रकार की खेती करनें के लिए एयरोपोनिक्स तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है | यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें पौधौ को कोहरे और हवा वाले वातावरण में उगाया जाता है | तो आईये जानते है, Aeroponic Farming in Hindi अर्थात एरोपोनिक तकनीक (प्रणाली) से खेती कैसे करे ?
एरोपोनिक तकनीक क्या है (Aeroponic Technology)
एयरोपोनिक्स टेक्निक एक ऐसी तकनीक है, जिसमें पौधौ को कोहरे और हवा वाले वातावरण में उगाया जाता है | इस तकनीक में पौधौ को उगानें के लिए पानी, मिट्टी तथा सूर्य के प्रकाश की जरुरत नही पड़ती है | एयरोपोनिक्स टेक्निक में पौधों को बड़े-बड़े बॉक्स में लटका दिया जाता हैं और प्रत्येक बॉक्स में पौधौ को ग्रोथ के लिए पोषक तत्व और पानी डाला जाता है | जिससे पौधौ की जड़ों में नमी बनी रहती है और कुछ समय के बाद फसल का उत्पादन होनें लगता है |
एरोपोनिक्स एक ऐसा तरीका है, जो हाल के दिनों में लोकप्रियता में लगातार बढ़ रहा है। कृषि की इस आधुनिक पद्धति से किसानों और नागरिकों के लिए कई लाभ हैं। इस टेक्निक से खेती करनें का सबसे बड़ा लाभ यह है, कि इसमें मिट्टी और भूमि की कमीं होनें के बावजूद फसलों का उत्पादन करना संभव है |
एरोपोनिक तकनीक से खेती कैसे करे (Aeroponic Technology Farming)
यह प्रणाली उन सब्जियों के उत्पादन के लिए उपयुक्त है, जिनकी जड़ें ऑक्सीजन और नमी जैसी सर्वोत्तम स्थिति को अपना सकती हैं। इन्हें नियंत्रित तापमान (Controlled temperature) आद्रता (Humidity) की स्थिति में उगाया जा सकता है। एरोपोनिक्स तकनीक के माध्यम से किसान पोषक तत्वों से परिपूर्ण फसलें प्राप्त कर सकते है | इस तकनीक से फसलों के उत्पादन में पानी के साथ-साथ पोषक तत्वों की भी बचत होती है।
इस पर किए गए शोध के अनुसार, पारंपरिक रूप से 1 किलो बैंगन के उत्पादन के लिए लगभग 250 से लेकर 350 लीटर पानी की आवश्यकता होती है | वहीं एरोपोनिक्स तकनीक से इस उत्पादन के लिए पानी की खपत मात्र 15 से 20 लीटर रह जाती है। इस प्रणाली से फसलों के उत्पादन के लिए उन्हें पॉलीहाउस में लगाना सबसे उपयुक्त होता है |
इंजीनियरिंग कॉलेज, रुड़की के कृषि विभाग की हेड डॉ दीप गुप्ता के मुताबिक, एरोपोनिक्स प्रणाली फसलों के उत्पादन में जल की बर्बादी को सीमित कर देती है। इसके साथ ही इसमें पोषण युक्त जल की प्रत्येक बून्द का उपयोग किया जाता है। इस तकनीक से फसलों का उत्पादन पारम्परिक तकनीकों की तुलनामें लगभग 6 गुना अधिक उत्पादन किया जा सकता है | इसके साथ-साथ इसमें कम परिश्रम की आवश्यकता होती है | इस तकनीक से उत्पादित फसल पोषक तत्वों से भरपूर होती है |
एरोपोनिक तकनीक में खामियां (Aeroponic Technology Flaws)
एरोपोनिक टेक्निक में सबसे बड़ी समस्या यह है, कि इसमें पौधौ की जड़ों पर पोषक तत्वों को छिड़कने के लिए विद्युत अर्थात बिजली की आवश्यकता होती है | इसके अलावा शुरूआती दौर में पूरे सेटअप की लागत पारंपरिक खेती की अपेक्षा काफी अधिक होती है | साथ ही इसे संचालित करने के लिए आपके पास टेक्निकल नालेज होना आवश्यक है | लेकिन इस तकनीक में एक बार किया गया निवेश का सबसे बड़ा लाभ यह है, कि यह सेटअप काफी लम्बे समय तक चलता है | यह मोर्डेन फार्मिंग के सबसे उन्नत संस्करणों में से एक है, इसके साथ ही यह पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी यह लाभकारी है |
भारत में एयरोपोनिक्स प्रणाली से खेती कहां होती है (Aeroponics System Farming in India)
भारत में एयरोपोनिक्स प्रणाली से खेती हरियाणा के करनाल में आलू प्रौद्योगिकी केंद्र (Technology Center) में इस टेक्निक से उच्च गुणवत्ता के आलू का उत्पादन किया जा रहा है | एरोपोनिक प्रणाली में पौधे के टिशू कोप्लास्टिक शीट (Plastic sheet) के छेद में लगाया जाता है और पौधे की जड़ एक बॉक्स में लटकी होती है | पौधे को मिट्टी की जगह सारी खुराक पोषक तत्वों के छिड़काव करके दी जाती है | जब बॉक्स में लटकी जड़ों में आलू लग जाते हैं, तो बॉक्स को खोलकर आलू को अलग कर लिया जाता है |
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एयरोपोनिक्स प्रणाली से उत्पादन कितना होता है (Aeroponics System Production)
इस टेक्निक से 1 यूनिट में एक समय में बीस हजार (Twenty Thousand) आलू के पौधौ को लगाकर इनसे 8 से 10 लाखमिनी ट्यूबर्स (Mini Tubers) अर्थात बीज तैयार किए जा सकते हैं | कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, इस तकनीक से परंपरागत खेती की अपेक्षा किसान अधिक लाभ कम सकते है |
आलू प्रौद्योगिकी केंद्र (Potato Technology Center) के मुताबिक एरोपोनिक प्रणाली से आलू का उत्पादन बगैर पानी और मिट्टी के किया जा सकता है | इस विधि से फसलों का उत्पादन पारंपरिक खेती के मुकाबले लगभग 10 गुना अधिक प्राप्त किया जा सकता है | आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि हरियाणा के करनाल में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र (Potato Technology Center) का इंटरनेशनल पोटेटो सेंटर (International Potato Center) के साथ एक एमओयू (MOU) साइन हुआ है | इसके पश्चात एरोपोनिक टेक्निक के प्रोजेक्ट कोभारत सरकार द्वारा अनुमति दे दी गयी है |
एरोपोनिक प्रणाली से कौन से पौधे उगा सकते हैं? (What Plants Can Grow From The Aeroponic System?)
यद्यपि तकनीकी रूप से किसी भी पौधे को एरोपोनिक्स का उपयोग करके उगाया जा सकता है, लेकिन वर्तमान में इसका उपयोग पत्तेदार साग, स्ट्रॉबेरी, खीरे, टमाटर और जड़ी-बूटियों के उत्पादन के लिए किया जा रहा है। हाइड्रोपोनिक्स पर एरोपोनिक्स सिस्टम के सबसे बड़े लाभों में से एक इस पद्धति की जड़ फसलों को भी उगाने की क्षमता है। हाइड्रोपोनिक्स के लिए इस पद्धति का उपयोग करना संभव नहीं है, जबकि ऐसी परिस्थितियों में एयरोपोनिक्स के तहत इसका उपयोग आसानी से किया जा सकता है।
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