विश्व में अगर मक्का के बाद किसी फसल को सबसे ज्यादा उगाया जाता है तो वह धान ही है | यह एक प्रमुख फसल है, जिससे चावल निकाला जाता है | चावल को भारत एशिया सहित पूरी दुनिया में मुख्य भोजन के रूप में जाना जाता है |
भारत में खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान ही है, जिसे लगभग देश के सभी कोनो में उगाया जाता है | वर्तमान समय में धान की फसल करने वाले किसानो की संख्या करोड़ो में है |
Contents
- 1 धान की खेती (Paddy Cultivation) से सम्बंधित जानकारी
- 1.1 धान की खेती कैसे करे (Paddy Farming)
- 1.2 धान की किस्मे (Paddy Varieties)
- 1.3 धान का खेत को कैसे तैयार करे (Prepare the Field of Paddy)
- 1.4 धान के बीज की मात्रा तथा बुवाई (Paddy Seed and Sowing)
- 1.5 धान की खेती में उवर्रक की मात्रा (Paddy Cultivation Amount of Fertilizers)
- 1.6 धान की सिंचाई (Paddy Irrigation)
- 1.7 धान की फसल में लगने वाले रोग (Paddy Crop Diseases)
- 1.8 धान की खेती में रोगों से बचाव (Prevention of Diseases in Paddy Cultivation)
- 1.9 धान की खेती से कमाई (Paddy Farming Income)
धान की खेती (Paddy Cultivation) से सम्बंधित जानकारी
चीन के बाद चावल का सबसे ज्यादा उत्पादन करने में भारत विश्व में दूसरे नंबर पर आता है | यदि आप भी धान की फसल को करना चाहते है, तो इस पोस्ट में धान की खेती कैसे होती है, Rice Farming in Hindi, धान की उन्नत किस्मों के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है|
धान का भाव
धान की खेती कैसे करे (Paddy Farming)
भारत में धान की खेती को पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु जैसे राज्यों में मुख्य रूप से किया जाता है| इसके अलावा झारखंड एक ऐसा राज्य है, जहा धान की खेती को 71 प्रतिशत भूमि भाग पर उगाया जाता है| राज्य की अधिकतर आबादी का प्रमुख स्रोत चावल ही है | इसके बावजूद विकसित राज्यों की तुलना में यहाँ धान का उत्पादन बहुत कम है|
कृषि की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए किसानो को कृषि तकनीक का ज्ञान होना आवश्यक है | जिससे वह फसल की उन्नत किस्मों का चुनाव कर भूमि व जलवायु को ध्यान में रखते हुए उचित तरीके का इस्तेमाल कर फसल का अच्छा उत्पादन कर सके|
धान की नर्सरी कैसे तैयार करें
धान की किस्मे (Paddy Varieties)
धान की खेती में भी कई किस्मे पायी जाती है, जगह के हिसाब से सही किस्म का चुनाव करना बहुत महत्वपूर्ण होता है | ऐसी ही कुछ महत्वपूर्ण किस्मों के बारे में बताया गया है | इन किस्मों में फसल 90 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है |
- पूसा – 1460
- W.G.L. – 32100
- पूसा सुगंध – 3
- पूसा सुगंध – 4
- M.T.U. – 1010
- I.R. – 64 , I.R. – 36
- DRR धान 310
- DRR धान 45
इसके अलावा अन्य भूमि के मुतबिक तैयार की जाने वाली फसलों व किस्मों के नाम की जानकारी इस प्रकार है-
असिंचित दशा – में तैयार की जाने वाली फसलें व किस्में
- नरेन्द्र-118,
- नरेन्द्र-97,
- साकेत-4,
- बरानी दीप,
- शुष्क सम्राट,
- नरेन्द्र लालमनी |
सिंचित दशा में तैयार की जाने वाली किस्मों के नाम
- पूसा-169,
- नरेन्द्र-80,
- पंत धान-12,
- मालवीय धान-3022,
- नरेन्द्र धान-2065
मध्यम पकने वाली किस्मों के नाम जो सिंचित दशा में ही तैयार होती है
- धान-10,
- पंत धान-4,
- सरजू-52,
- नरेन्द्र-359,
- नरेन्द्र-2064,
- नरेन्द्र धान-2064,
- पूसा-44,
- पीएनआर-381 प्रमुख किस्में मानी जाती हैं।
ऊसरीली भूमि में तैयार की जाने वाली धान की किस्में
- नरेन्द्र ऊसर धान-3,
- नरेन्द्र धान-5050,
- नरेन्द्र ऊसर धान-2008,
- नरेन्द्र ऊसर धान-2009 ।
धान की सीधी बुवाई कैसे करें
धान का खेत को कैसे तैयार करे (Prepare the Field of Paddy)
धान की फसल को खेत में लगाने से पहले खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर लेनी चाहिए | जिससे पुरानी फसल के अवशेष निकल जाये | इसके बाद खेत में पानी को लगा देना चाहिए, खेत में पानी को लगाने के बाद उसे कुछ दिन के लिए ऐसे छोड़ दे | इसके बाद खेत फिर से जुताई कर मेड बंदी बना दे जिससे खेत में बारिश का पानी अधिक समय तक जमा रहे | धान के खेत में बुवाई के समय हरी खाद के रूप में ढैंचा/सनई ली जा रही है, तो फास्फोरस का भी इस्तेमाल करे | धान के खेत में रोपाई से एक हफ्ते पहले खेत को सिंचाई कर तैयार कर लेना चाहिए |
धान के बीज की मात्रा तथा बुवाई (Paddy Seed and Sowing)
धान के बीजो को खेत में लगाने से पहले शुद्ध कर लेना चाहिए इसके लिए 25 किलोग्राम बीजो को 4 ग्राम स्ट्रेपटोसईक्लीन तथा 75 ग्राम थीरम से उपचारित कर लेना चाहिए | अगर आप धान की सीधे तौर पर बुवाई करते है, तो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लगभग 40 से 50 किलोग्राम तक के बीज होने चाहिए | इसके अलावा धान की रोपाई के लिए लगभग 30 से 35 किलोग्राम धान प्रतिहेक्टयेर के हिसाब से होने चाहिए|
किसानो में धान की सीधी बुवाई को ज्यादा लोकप्रिय माना जाता है, इससे किसानो को अत्यधिक लाभ भी प्राप्त हो रहा है | इस तरह की बुवाई में सही समय पर बुवाई करना ज्यादा महत्वपूर्ण होता है | इसके लिए मानसून का सीजन प्रारम्भ होने से दो हफ्ते पहले यानि जून महीने के मध्य तक बुवाई कर देनी चाहिए | बुवाई की यह प्रक्रिया उत्तर भारत और पूरे मध्य भारत में अपनायी जाती है | जबकि छत्तीसगढ़ जैसे राज्य की बात करे, तो यहाँ पर धान की बुवाई को खुर्रा (सूखे खेत) विधि द्वारा किया जाता है|
बासमती धान की खेती कैसे करें
धान की खेती में उवर्रक की मात्रा (Paddy Cultivation Amount of Fertilizers)
धान के फसल की अच्छी उत्पादकता के लिए खेत में सही मात्रा में उवर्रक का होना आवश्यक होता है | धान की रोपाई के बाद यदि फसल को उवर्रक की सही मात्रा दी जाती है, तो पैदावार काफी अच्छी होती है | धान की खेती में यूरिया के अधिक इस्तेमाल से बचना चाहिए, क्योकि इससे पैदावार को नुकसान होता है | किसान अपने फसल की उत्पादकता हो बढ़ाने के लिए 100-130 किलोग्राम DAP, 70 किलोग्राम MOP, 40 किलोग्राम यूरिया एवं 25 किलोग्राम जिंक प्रति हेक्टर (चार बीघा) की दर से रोपाई के समय तथा यूरिया की 60-80 किलोग्राम मात्रा रोपाई के 4-5 सप्ताह बाद प्रति हेक्टर के हिसाब से खेत में प्रयोग कर सकते है|
धान की सिंचाई (Paddy Irrigation)
धान की फसल में सिचाई की अधिक आवश्यकता होती है इसलिए खेत में बीजो की रोपाई के तुरंत बाद इसकी पहली सिंचाई कर देनी चाहिए | धान की फसल को एक रोपाई के एक सप्ताह तक पौधों के कल्ले फूटने तक दाना भरते समय तक खेत में पानी की पूर्ती नियमित रूप से होनी चाहिए | इसके लिए बांध बना कर उसमे पानी भर देना चाहिए, जिससे की पानी खेत में बना रहे और पौधे ठीक से वृद्धि कर सके|
काला धान की खेती कैसे करे
धान की फसल में लगने वाले रोग (Paddy Crop Diseases)
धान की फसल में भी कई तरह के कीट रोग देखने को मिल जाते है यह कीट रोग तापमान तथा जलवायु सम्बन्धी कारणो तथा खेती के तरीके से भी होते है | नीचे आपको ऐसे ही कुछ कीट रोगो के बारे में बताया गया है |
- बदरा (Blast)
- तनागलन (Stem rot)
- तलगलन एवं बकाने (Foot rot & bakanae)
- पर्णच्छद गलन (Sheath rot)
- पर्णच्छद अंगमारी (Sheath blight)
- भूरी-चित्ती (Brown spot)
- आभासी कांगियारी (False smut)
- उदबत्ता (Udbatta)
- जीवाणुज़ पत्ती अंगमारी (Bacterial leaf blight)
- जीवाणुज़ पत्ती रेखा (Bacterial leaf streak)
- टुंग्रो (Tungro)
- घासीय-वृद्धि रोग (Grassy stunt)
इस तरह के रोगों से बचाव के लिए समय – समय पर सम्बन्धित दवाई का छिडकाव करना चाहिए | यदि सही समय पर दवाई का छिड़काव किया जाता है, तो फसल में लगने वाले रोगों से फसल को बचाया जा सकता है |
धान की खेती में रोगों से बचाव (Prevention of Diseases in Paddy Cultivation)
रोगों से बचाव के लिए बीज शोधन के जरिये भी किसान भाई कर सकते है, इसके विधि से बिना किसी खर्चे के आसानी से बचाव किया जा सकता है | सर्वप्रथम दस लीटर पानी में 1.6 किलो खड़ा नमक का घोल बनाना होगा | अब इस घोल में एक अंडा या फिर अंडे के ही आकार का एक आलू को डालना होगा | फिर जब अंडा या आलू उस घोल में ऊपर आकर तैरने लगे, तो समझ जाइये कि घोल पूरी तरह से तैयार हो चुका है | इस दौरान यदि अंडा या आलू डूब जाता है, तो फिर पानी में और आलू डालकर घोलना होगा, जबतक अंडा या आलू तैरने लगे, तब जाकर घोल बीज शोधन के लिए पूरी तरीके से तैयार हो चुका है|
अब तैयार किये गए घोल में धीरे-धीरे धान के बीजों को डालें, इसके बाद जो बीज पानी में सतह पर आ जाये और तैरने लगे उसे निकालकर बाहर फेंक दें, क्योंकि यह बीज बेकार होते हैं| इसके बाद अब जो बीज नीचे बैठ गए हो उसे निकाल लें, यही बीज बुवाई के लिए सही होता है| इस घोल का प्रयोग पांच से छह बार धान के बीज शोधन के शोधन हेतु किया जा सकता हैं, इसके बाद तैयार किये गए बीज को साफ पानी से तीन से चार बार अच्छे से धोकर बुवाई हेतु प्रयोग करे|
धान की खेती से कमाई (Paddy Farming Income)
धान की अच्छी खेती करके किसान भाई अच्छी पैदवार भी कर सकते है, जिसे सरकार द्वारा लगाये गए केन्द्रों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर मंडी में भी बेच सकते है | इसके अलावा किसान धान से चावल निकलवाकर बेच सकते है, जिससे भी अच्छी कमाई की जा सकती है|
धान की खेती कैसे करें सम्पूर्ण जानकारी
भूमि की तैयारी गर्मी की जुताई करने के बाद 2-3 जुताइयां करके खेत की तैयारी करनी चाहिए। …
धान की प्रजातियों का चयन …
शुद्ध एवं प्रमाणित बीज का चयन …
उर्वरकों का संतुलित प्रयोग एवं विधि …
जल प्रबन्ध …
धान में फसल सुरक्षा …
प्रमुख खरपतवार
धान की नर्सरी मई के अंतिम सप्ताह या जून के दूसरे सप्ताह तक जरूर कर दें।
जिस खेत में धान की नर्सरी करनी हो उस खेत पर गोबर की खाद को या कम्पोस्ट खाद बिछा दें।
धान की नर्सरी बेड पर पानी का जलभराव नहीं होने दें।
एक हेक्टेयर खेत के लिए 800-1000 वर्ग मीटर का स्थान नर्सरी के लिए पर्याप्त है।
चावल उगाने के मुख्य रूप से 3 तरीके हैं:
तराई या धान की खेती (दुनिया भर में ज्यादातर व्यावसायिक चावल की कृषि भूमि)। चावल को ऐसी भूमि पर उगाया जाता है, जो वर्षा या सिंचाई के पानी से लबालब भरी होती है। …
तैरता हुआ और गहरे पानी का चावल। …
पहाड़ी चावल की खेती (दुनिया में चावल की कृषि भूमि का बहुत कम प्रतिशत)।
दाने लंबे और बड़े होते हैं (1000 दानों का वजन 22 से 24 ग्राम होता है।) मध्यम अवधि (120 से 140 दिन) में फसल पककर तैयार हो जाती है।
धान की सीधी बुआई का उपयुक्त समय 20 मई से 30 जून तक होता है।
धान की रोपाई के 20-30 दिन बाद कल्ले फूटने लगते हैं। इस दौरान धान में अधिक पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इस दौरान धान की खेत में ज्यादा पानी न रखें और प्रतिएकड़ 20 किलो नाइट्रोजन और 10 किलो जिंक की मात्रा जरूर दें। जिंक की मात्रा आप धान की रोपाई के समय भी दे सकते हैं।
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