हरी भिन्डी की तरह लाल भिन्डी की खेती के लिए भी गर्म और आर्द्र जलवायु उत्तम होती है. मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के किसानों ने लाल भिंडी की खेती करना शुरू कर दिया है.
लाल भिंडी की खेती रबी तथा खरीफ दोनों मौसमों में बहुत आसानी से की जा सकती है. लाल किस्म के भिन्डी की अभी शुरुआत ही है जिससे इसकी डिमांड बाजार में बनी रहती है.
Contents
- 1 लाल भिंडी की खेती से लाभ
- 2 लाल भिंडी के बीज की कीमत और उन्नत किस्में
लाल भिंडी की खेती से लाभ
भिंडी एक ऐसी फसल है जो बहुत लम्बे समय तक उपज देती रहती है. साथ इसकी एक यह खासियत होती है की इसकी तुड़ाई 1 दिन के अन्तराल पर होती है. जिससे भिन्डी की खेती से अच्छी कमाई होती है. किसानों के अनुसार लाल भिन्डी की पैदावार हरी भिन्डी से अधिक होती है.लाल भिन्डी की उपज की बात करें तो यह प्रति एकड़ 50 से 55 क्विंटल उत्पादन देती है.
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लाल भिंडी के बीज की कीमत और उन्नत किस्में
बनारस के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ वेजिटेबल रिसर्च सेंटर में लाल भंडी को विक्सित किया गया था. लाल भिंडी की उन्नत प्रजातियों की बात करें तो कई सालों की कड़ी मेहनत के बाद काशी लालिमा और आजाद कृष्णा इन दो प्रकार के प्रजाति को लाँच किया गया है. लाल भिंडी के बीज की कीमत प्रति किलो 2400 रुपये है. इस किस्म केन भिन्डी की मोटाई 1.5 से 1.6 सेंटीमीटर तथा लंबाई 10 से 15 सेंटीमीटर तक होती है.
भारत के इन राज्यों में बढ़ रहा लाल भिन्डी का रूझान
हरी भिंडी की अपेक्षा में लाल भिंडी का बाजार में भाव महंगा होता है. इसलिए लाल भिन्डी के गुण और बाजार भाव को देखते हुए विभिन्न राज्य के किसान लाल भिन्डी की खेती करके अन्य फसलों से अधिक लाभ कमा रहे हैं. ऐसे में मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के अलावा बिहार, झारखंड, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, और छत्तीसगढ़ के किसानों का रूझान भी लाल भिन्डी की खेती की तरफ तेजी से बढ़ रहा है.
लाल भिंडी की बुआई का अनुकूल समय
भिन्डी हरी हो या लाल भिन्डी की खेती वर्ष में दो बार की जाती है. रबी में भिन्डी की खेती फरवरी से लेकर मार्च के पहले सप्ताह तक की जाती है. और खरीफ सीजन में लाल भिन्डी की खेती जून-जुलाई महीने में की जाती हैं. खरीफ में लाल भिन्डी की बुआई करने से पहले इस बात का ध्यान रहे की ऊँचे जलनिकास वाली भूमि का चयन करना चाहिए. ताकि खेत में जलभराव न हो सके, नहीं तो फसल ख़राब हो जाएगी.
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लाल भिंडी की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु
Lal bhindi ki kheti करने के लिए वैसे तो सभी प्रकार की मिट्टी अच्छी होती है लेकिन बलुई दोमट मिट्टी जिसका P.H. मान 6.5 से 7.5 के बीच तक हो अच्छी पैदावार व गुणवत्ता युक्त फल लेने के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है. वहीँ अगर लाल भिन्डी के लिए जलवायु की बात करें तो गर्म और आर्द्र जलवायु अच्छी पैदावार के लिए उपयुक्त बहुत उत्तम होती है.
लाल भिंडी की खेती के लिए खेत की तैयारी
लाल भिन्डी की बुआई करने से पहले खेत को कलटीवेटर हल की सहायता से खेत की 2 से बार गहरी जुताई करके 1 सप्ताह के लिए छोड़ देनी चाहिए. इसके बाद खेत में 3 ट्राली अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद या मुर्गियों की खाद प्रति बीघा की दर से बिखेरकर खेत की पुनः कल्टीवेटर से जुताई करें. इससे बाद खेत की पलेवा कर देनी चाहिए.
पलेवा करने के बाद जब खेत में दरार आने लगे और मिट्टी में नमी हो तब खेत में 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 50 किलोग्राम पोटाश प्रति बीघा डालकर रोटोवेटर की मदद से जुताई करके खेत को समतल बना लेनी चाहिए. उसके बाद खेतों में मेंड़ बनाकर या कुदाल से लाइन खींचकर बीजों की बुआई करनी चाहिए.
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लाल भिंडी की खड़ी फसल में उर्वरक का प्रयोग
भिन्डी की बुआई करने के बाद जब पौधे बड़े हो जाएँ और फल देने लगे तब भिन्डी की पहली तुड़ाई के बाद खड़ी फसल में 40 किलो फास्फोरस डालकर सिंचाई करनी चाहिए. इसके बाद भिन्डी की लगभग 7 से 8 तुड़ाई करने के बाद पुनः 40 किलो फास्फोरस डालकर सिंचाई करनी चाहिए. ऐसा करने से पौधे स्वस्थ रहते हैं और पैदावार लम्बे समय तक मिलती रहती है.
लाल भिंडी की खेती में सिंचाई
लाल भिंडी की फसल में पहली सिंचाई तब करनी चाहिए जब पौधे में फूल आने लगे और भिन्डी के पौधे की पत्तियाँ दोपहर के समय मुरझाने की स्थिति में हों. इसके बाद मार्च अप्रैल के महीने में 6 से 7 दिन के अंतराल पर और मई जून में 3 से 4 दिन के अंतराल पर सिंचाई की जरुरत होती है. परन्तु वहीँ खरीफ में बारिश के मौसम में बारिश पर निर्भर होती है की सिंचाई कब की जाय.
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फली छेदक
भिन्डी की फसल को सबसे अधीन नुकसान फली छेदक कीड़े से होता है. फली छेदक एक प्रकार की इल्ली होती है यह कोमल भिन्डी की कोमल फलों में छेद करके फसल को नुकसान पहुचती है. भिन्डी में फली छेदक के रोकथाम के लिए करंट रासायनिक दवा की 5 ml दवा 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करना चाहिए.
माईट या मकड़ी
यह लाल रंग की बहुत ही छोटी कीट होती है जिसे लाल माईट या लाल मकड़ी के नाम से जानते हैं. इनका प्रकोप गर्मियों में होता है. ये पत्तियों के निचे, शाखाओं और टहनियों पर झुण्ड बनाकर रहते हैं. इनके प्रकोप से पौदों पर झाले बन जाते हैं और कमजोर हो जाते हैं. माईट के प्रकोप से लाल भिन्डी की फसल को बचाने के लिए ओमाईट रासायनिक दवा की 15ml प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.
हरा-सफ़ेद फुदका
यह हरे एवं सफेद रंग के छोटे कीट होते हैं जो पत्तियों के निचली भाग में रहते हैं. ये कीट पत्तियों के रस को चूसते है जससे पौधों की पत्तियाँ पिली जाती हैं. भिन्डी की फसलों को इन कीटों से बचाने के लिए इमिडाक्लोरोपिड की 10 ml दवा 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.
लाल भिंडी की फसल में ध्यान देने योग्य बातें
लाल भिंडी की सफल खेती के लिए खरीफ और रबी दोनों ही मौसम अनुकूल होती है. भिंडी की फसल अत्यधिक गर्मी पड़ने के कारण फूल गिरने लगते हैं. और अत्यधिक सर्दी पड़ने से फूल अच्छे से खिल नहीं पाते हैं. यानि भिन्डी की फसल अधिक गर्मी और सर्दी को सहन नहीं कर पाती है. इसलिए किसानों को Lal bhindi ki kheti अनुकूल मौसमों में ही करनी चाहिए.
उत्तर- 2400 रुपये किलो के भाव.
उत्तर- भिंडी की फसल बुआई के 60 दिन बाद तुड़ाई के लिए तैयार होती है.
उत्तर- बनारस के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ वेजिटेबल रिसर्च सेंटर में लाल भिंडी का बीज मिलता है.
उत्तर- हरी भिंडी की तरह ही लाल भिन्डी भी रबी और खरीफ में बोई जाती है.
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