मशरूम की खेती कैसे होती है | Mushroom Farming in Hindi | Mushroom Price

वर्तमान समय में मशरूम को खाने में खूब पसंद किया जाता है। आखिर स्वादिष्ट होने के साथ-साथ यह पोषक गुणों से भी भरपूर होता है ऐसे में मार्केट में मशरूम की अच्छी-खासी डिमांड है। जो भी किसान भाई आमदनी हेतु अतिरिक्त आय का स्रोत चाहते है मशरूम की खेती (mushroom ki kheti) उनके लिए बेहतर विकल्प हो सकती है।

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मशरूम की खेती कैसे होती है |

मशरूम की खेती ना सिर्फ किसान अपितु गैर-किसान नागरिक भी कर सकते है क्यूंकि मशरूम कमरों में भी उगाया जा सकता है। ऐसे में घर के छोटे से कमरों से ही मशरुम की खेती करके आप लाखों रुपए की आमदनी कर सकते है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताने वाले वाले है की मशरूम की खेती कैसे होती है (Mushroom Farming in Hindi), मशरूम उत्पादन (mushroom farming) के लिए आवश्यक तत्त्व क्या है और मशरूम की खेती से आप कितनी कमाई (Mushroom Price) कर सकते है।

मशरूम की खेती कैसे करें

मशरुम प्रायः सभी जगहों पर पाया जाता है जिसे की स्थानीय भाषा में कुकुरमुत्ता भी कहा जाता है। बरसात के मौसम में तो यह प्रायः अनेक जगहों, सड़ी हुयी लकड़ियों और अन्य नमी वाले स्थानों पर स्वयं उग आता है परन्तु यह खाने योग्य नहीं होता है। खाने योग्य मशरूम व्यावसायिक उत्पादन (Mushroom Farming) के माध्यम से उत्पन किया जाता है। मशरुम एक प्रकार का कवक होता है जिसमे मानव् शरीर के लिए मौजूद सभी आवश्यक तत्त्व जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, खनिज लवण और विटामिन, मिनरलस, और अन्य पोषक तत्त्व पाए जाते है जिससे की यह हमारे स्वास्थ्य पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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इसके अतिरिक्त मशरुम से अन्य खाद्य उत्पाद जैसे नूडल्स, चकलीजैम (अंजीर मशरूम), सॉसकुकीज, सेव, चिप्स, सूप, पापड़, टोस्ट, बिस्किट, जिम सप्लीमेन्ट्री पाउडर, खीरब्रेड एवं अचार बनाये जाते है। साथ ही स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ मशरुम की खपत में भी वृद्धि हुयी है ऐसे में मशरूम की खेती (Mushroom Farming) आपके लिए फायदे का सौदा हो सकता है और कम निवेश और कम जगह होने पर भी मशरूम की खेती (mushroom ki kheti) से आप अच्छा-खासा मुनाफा कमा सकते है।

मशरुम की दुनिया में हजारों प्रजातियाँ पायी जाती है परन्तु इनमे से कुछ प्रतिशत मशरुम की प्रजातियाँ की खाने योग्य होती है। हमारे देश में अलग-अलग राज्यों के मौसम और भौगोलिक संरचना और वातावरण के अनुसार विभिन प्रकार के मशरुम उगाये जाते है। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा मशरुम की खेती के लिए बीज अनुदान और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है जिससे मशरुम उत्पादन को बढ़ावा मिले।

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मशरुम की विभिन प्रजातियां

पूरी दुनिया में मशरुम की हजारो प्रजातियां पायी जाती है परन्तु खाने योग्य प्रजातियां गिनी-चुनी ही है। हमारे देश में मशरुम उत्पादन के लिए मुख्यतः 3 प्रजातियों का ही उपयोग किया जाता किया जाता है जिनका विवरण इस प्रकार से है :-

ढिंगरी मशरूम

ढिंगरी मशरूम के उत्पादन के लिए ठंड का मौसम उपयुक्त माना जाता है परन्तु भारत के तटीय क्षेत्रों में जहाँ नमी 80 फीसदी तक होती है ढिंगरी मशरूम के उत्पादन के लिए सर्वश्रेष्ठ है। नमी युक्त वातावरण में मशरुम की यह प्रजाति बहुत अच्छे से उत्पादन करती है और 45 से 60 दिनों में फसल के माध्यम से आप अच्छा ख़ासा मुनाफा कमा सकते है।

श्वेत बटन मशरूम

पूरी दुनिया में सबसे अधिक खायी जाने वाली मशरुम की प्रजाति श्वेत बटन मशरूम ही है। अधिकतर सब्जी मंडियों में मिलने वाली यह मशरुम प्रजाति सफ़ेद रंग की अर्धवृत के आकार की होती है जिसके मध्य भाग उभरा हुआ होता है। इसके क्यूब को प्रारम्भ में 20 से 22 डिग्री एवं फलन के बाद 14 से 18 डिग्री तापमान पर रखा जाता है जिससे की यह बेहतर उत्पादन देता है।  80 से 85 फीसदी आर्द्रता श्वेत बटन मशरूम की खेती के लिए आदर्श तापमान है।

दूधिया मशरूम

मशरुम की दूधिया प्रजाति का उत्पादन देश के मैदानी क्षेत्रों में किया जाता है जिसके लिए इसे 80 फीसदी आर्द्रता की आवश्यकता होती है। 25 से 30 डिग्री तापमान पर इनके बीजो का अंकुरण अच्छे से होता है वही फलन के पश्चात इस प्रजाति की बीजो के लिए 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान आदर्श है।

शिटाके मशरूम किस्म

मुख्यतः जापान में उगाया जाने वाला शिटाके मशरूम अर्धगोलाकार एवं हलकी लालिमायुक्त होता है। प्रारम्भ में इसके बीजो के अंकुरण के लिए 22 से 27 डिग्री तापमान आदर्श होता है वही बीजो के फलन के पश्चात उत्पादन के लिए 15 से 20 डिग्री तापमान बनाये रखने की आवश्यकता होती है।

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मशरूम की खेती हेतु महत्वपूर्ण बिंदु

मशरुम की खेती के लिए निम्न महत्वपूर्ण बिन्दुओ का ध्यान रखे।

  • मशरुम की खेती बंद कमरों में की जाती है जहाँ आयताकार सांचो में मशरुम की खेती की जाती है ऐसे में आपको उपयुक्त बातो का ध्यान रखना आवश्यक है। साथ ही ग्रीन हाउस का उपयोग करके और अन्य तकनीकों का उपयोग करके भी वर्तमान में मशरुम की खेती की जा रही है।
  • मशरुम की खेती के लिए उपयुक्त नमी की आवश्यकता होती है क्यूंकि नमीयुक्त स्थानों पर ही कवक वृद्धि कर पाते है ऐसे में यह अवश्य जाँच ले की उत्पादन वाली जगह पर उपयुक्त नमी हो। इसके अतिरिक्त विभिन प्रजातियों के लिए उपयुक्त तापमान का होना भी आवश्यक है।
  • मशरुम के बीजो को नमी एवं आवश्यक पोषण देने के लिए चावल, घास या अन्य फसल के भूसे की उबालकर बोरों में भरकर बीजों को लगाया जाता है जहाँ नमी बनाये रखने के लिए आपको कूलर या अन्य युक्ति के माध्यम से आवश्यक आर्द्रता को बनाये रखना आवश्यक होगा।

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बीज उगाने हेतु आधार सामग्री तैयार करना

मशरुम उगाने के लिए आवश्यक पोषण के लिए कृषि अपशिष्टों का उपयोग किया जाता है जिनमे चावल और मक्की के भूसे को अन्य कृषि अपशिष्टों की अपेक्षा अधिक उपयुक्त माना जाता है। हालांकि यह ध्यान रखना आवश्यक है की यह भूसा बारिश में भीगा या अन्य प्रकार से गीला ना हो। इसकी लम्बाई 8 cm तक होनी चाहिए। सेल्यूलोज, लिग्‍निन और हेमीसेल्यूलोज युक्त इस खाद के द्वारा माइक्रोफ्लोरा का निर्माण किया जाता जाता है जिसमे मशरुम के क्यूब का विकास होता है। प्रारम्भ मे मशरुम के बीजों के अंकुरण के लिए अँधेरे कमरे की आवश्यकता होती है परन्तु अंकुरण के पश्चात इन्हे नमी और कम से कम 6 घंटे की खुली हवा आवश्यक होती है ऐसे में यह सुनिश्चित कर ले की उत्पादन कमरे में हवा आने के लिए उपयुक्त साधन मौजूद हो।

मशरूम उत्पादन हेतु बुवाई प्रक्रिया (Mushroom Seeding)

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मशरूम की खेती कैसे करें

मशरुम की बीजो की बुवाई के लिए सबसे पहले आपको खांचेनुमा आयताकार बक्सों को तैयार करना होगा जहाँ आपको मशरुम का उत्पादन करना होगा। इन बक्सों में सबसे नीचे प्लॉस्टिक परत और इसके ऊपर 6 से 8 इंच कम्पोस्ट खाद की लेयर बना देनी चाहिए। इसके बाद आप मशरुम के बीजो यानी की स्पॉन की अच्छे से बुवाई कर दे और इसे प्लास्टिक से अच्छी तरह ढक दे। 500-750 GM स्पॉन को आप 100 किलोग्राम खाद में बिछा सकते है। इसके बाद नियमित अंतराल पर इनकी नमी और खाद की आवश्यकता चेक करते रहे एवं आवश्यक्तानुसार इनके आवश्यक चीजों की पूर्ति करते रहे।

मशरुम की तुड़ाई, पैदावार एवं लाभ

बीजारोपण के 30 से 40 दिनों के पश्चात मशरुम तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते है। मशरुम को कभी की औजार से काटना नहीं चाहिए अपितु इसे हलके हाथों से घुमाकर जमीन के पास से तोडना चाहिए। इसके बाद आप इसे बेचने के लिए तैयार है। मार्केट के अधिक दूरी पर होने पर आपको मशरुम के भण्डारण के लिए उचित युक्ति का प्रयोग करना चाहिए।

औसत 9 cm लम्बाई वाले 1 किलोग्राम मशरुम को आप आसानी से 200 रुपए से लेकर 300 रुपए किलोग्राम के भाव में बेच सकते है जिसके बाद आप आसानी से उत्पादन अनुसार अच्छी खासी कमाई कर सकते है। मशरुम का भाव प्रजातियों पर भी निर्भर करता है ऐसे में आप अच्छी किस्म का चुनाव करके अधिक मुनाफा कमा सकते है।

इन बातो का रखे ध्यान

मशरुम की खेती में उत्पादन से पूर्व आपको सभी आवश्यक चीजों जैसे जगह की उपलब्धता, आवश्यक ताप एवं नमी तथा सही बीज के चुनाव का ध्यान रखना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त मशरुम के बीजो को गर्मी से बचाने के लिए आपको आवश्यक ताप को भी बनाये रखना होगा। साथ ही बीजो का भंडारण और मशरुम उत्पादन के पश्चात उत्पाद सुरक्षा के लिए आवश्यक भण्डारण का भी प्रबंध करना आवश्यक है।

मशरूम की खेती सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

मशरूम की खेती करने के लिए किन-किन बातो का ध्यान रखना आवश्यक है ?

मशरूम की खेती करने के लिए आपको उचित जगह, तापमान, प्रकाश, नमी, खाद और पोषण आवश्यकता का ध्यान रखना आवश्यक है। साथ ही आपको मशरुम की खेती के लिए उचित प्रशिक्षण लेना भी आवश्यक है।

मशरूम की खेती हेतु क्या प्रशिक्षण कहाँ से प्राप्त करें ?

मशरूम की खेती हेतु प्रशिक्षण देने के लिए सरकार द्वारा विभिन योजनाओ सञ्चालन किया जाता है। इसके अतिरिक्त राज्य सरकारों एवं स्वयंसेवी संस्थाओ द्वारा भी मशरूम की खेती हेतु प्रशिक्षण दिया जाता है। आप सम्बंधित कार्यक्रमों में भाग लेकर मशरुम उत्पादन की बारीकियों से परिचित हो सकते है।

मशरुम की खेती हेतु आवश्यक तापमान क्या है ?

मशरुम की अलग-अलग प्रजातियाँ अलग-अलग तापमान पर उगती है ऐसे में तापमान में बदलाव हो सकता है। हालांकि इसके लिए आदर्श तापमान ठंडी जलवायु और नमी युक्त वातावरण होता है जैसे देश के तटीय क्षेत्र एवं ठन्डे क्षेत्र।

मशरुम की खेती कैसे करें ?

मशरुम की खेती करने के लिए आपको ऊपर दिए गए आर्टिकल के माध्यम से सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की गयी है। सम्बंधित आर्टिकल के माध्यम से आप मशरुम की खेती सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते है।


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